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Home हिंदी कानून क्या कहता है

“फर्जी FIR दर्ज करके कानूनी व्यवस्था का दुरुपयोग करना आम हो गई है”, HC ने शिकायत वापस लेने वाली महिला पर लगाया ₹1 लाख का जुर्माना 

Team VFMI by Team VFMI
March 21, 2023
in कानून क्या कहता है, हिंदी
0
voiceformenindia.com

Punjab & Haryana High Court slaps ₹1 lakh costs on woman who withdrew complaint of outraging modesty (Representation Image)

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पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि झूठी एफआईआर (FIR) दर्ज करके कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की प्रवृत्ति बन गई है। कोर्ट ने कहा कि किसी के अहंकार को खुश करने के लिए फर्जी एफआईआर दर्ज करके कानूनी व्यवस्था का दुरुपयोग करना एक आम बात हो गई है। कोर्ट ने कहा कि इससे शिकायतकर्ता की झूठी एफआईआर के कारण टैक्स देने वालों के पैसे की बर्बादी होती है। इसके साथ ही अदालत ने शिकायतकर्ता महिला को एक महीने के अंदर एक लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया।

क्या है पूरा मामला?

बार एंड बेंच के मुताबिक, शिकायतकर्ता महिला ने एक शख्स को सार्वजनिक स्थान पर थप्पड़ मार दी थी, फिर बाद में उसने उस पर एफआईआर दर्ज करवा दी। रिपोर्ट के मुताबिक,  महिला ने व्यक्ति के खिलाफ शील भंग करने का आरोप लगाते हुए FIR दर्द करवाई थी। बाद में दोनों के बीच एक समझौते के अनुसार इसे केस को समाप्त करने पर सहमत बन गई। याचिकाकर्ता ने आगे एक समझौते के आधार पर FIR से संबंधित सभी कार्यवाही को रद्द करने की मांग की।

हाई कोर्ट

जस्टिस आलोक जैन की सिंगल पीठ ने कहा कि सिर्फ अपने अहंकार को संतुष्ट करने के लिए फर्जी FIR दर्ज करके कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने का चलन हो गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 के प्रावधानों के तहत उचित कार्रवाई की जानी चाहिए। बेंच ने कहा कि आखिरकार, यह टैक्सपेयर्स का पैसा है जो शिकायतकर्ता द्वारा दर्ज की गई झूठी एफआईआर के कारण बर्बाद हो रहा है।

कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले में शिकायतकर्ता द्वारा व्यक्ति के खिलाफ अपनी सनक के लिए कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया गया था। अदालत ने कहा, “शिकायतकर्ता ने पहले सिर्फ अपने अहंकार को शांत करने के लिए याचिकाकर्ता को पूरे सार्वजनिक स्थान पर थप्पड़ मारी और फिर FIR रद्द करने को लेकर समझौता कर ली।” कोर्ट ने कहा कि पार्टियों ने अपने विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया है, और ऐसी स्थिति में आपराधिक मुकदमा चलाना निरर्थक होगा, क्योंकि अंतिम सजा की संभावना कम है।

हालांकि, जस्टिस जैन ने पाया कि शिकायतकर्ता के खिलाफ आदेश पारित करने के लिए यह एक उपयुक्त मामला था, ताकि इस तरह की झूठी, ओछी और हेरफेर वाली FIR दर्ज न की जा सके जिससे राज्य मशीनरी का समय बर्बाद हो। जज ने कहा कि आखिरकार, यह टैक्सपेयर का पैसा है, जो शिकायतकर्ता द्वारा दर्ज की गई झूठी एफआईआर दर्ज करने के कारण बर्बाद हो गया है। इसके साथ ही शिकायतकर्ता पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।

कोर्ट ने कहा, “हालांकि, अदालत का मानना था कि शिकायतकर्ता के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। हालांकि, एक उदार दृष्टिकोण लेते हुए और भारी जुर्माना लगाने के साथ-साथ सावधानी का एक चेतावनी जारी करके, इस वर्तमान याचिका की अनुमति दी जाती है।

READ ORDER | Punjab & Haryana High Court Slaps Rs 1 Lakh Costs On Complainant Woman Who Filed False FIR To Satisfy Ego

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