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Home हिंदी कानून क्या कहता है

सुप्रीम कोर्ट ने महिला की ओर से दायर दहेज प्रताड़ना के मामले को किया खारिज, कहा- ‘वह स्पष्ट रूप से प्रतिशोध लेना चाहती थी’

Team VFMI by Team VFMI
September 5, 2023
in कानून क्या कहता है, हिंदी
0
voiceformenindia.com

Promotion of women officers: Supreme Court says it cannot run affairs of Indian Army

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाल ही में अपने एक बड़े फैसले में एक महिला की ओर से उसके ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज कराए गए दहेज प्रताड़ना के मामले को खारिज कर दिया। साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि महिला स्पष्ट रूप से प्रतिशोध (पति और ससुरालवालों से) लेना चाहती थी। अदालत ने कहा कि आपराधिक कार्यवाही को जारी रखने की मंजूरी देना अन्याय सुनिश्चित करने जैसा होगा।

क्या है पूरा मामला?

सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर आया, जिसमें महिला के पूर्व पति के रिश्तेदारों तथा सास के खिलाफ कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, महिला एक टीचर है। उसका विवाह 2007 में हुआ था। शादी को समाप्त करने के लिए तलाक का फैसला पति के पक्ष में आया। पति की ओर से तलाक की याचिका दाखिल किए जाने से पूर्व महिला ने पुलिस में लिखित में शिकायत की थी, जिसमें पति और ससुराल वालों के खिलाफ अनेक आरोप लगाए गए। शिकायत मिलने पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A सहित अन्य संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया था। महिला ने 2009 में अपने वैवाहिक घर से अलग हो गई थी। लेकिन 2013 तक उसके पति द्वारा तलाक की कार्यवाही शुरू करने से ठीक पहले उसने ससुराल वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस एस वी एन भट्टी की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता को देखते हुए उसकी राय यह है कि महिला के अपने ससुराल वालों के खिलाफ लगाए गए आरोप पर्याप्त नहीं हैं और प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता। शीर्ष अदालत ने कहा कि महिला स्पष्ट रूप से अपने ससुराल वालों से बदला लेना चाहती है। उसके आरोप इतने दूरगामी परिणाम डालने वाले और कपटपूर्ण हैं कि कोई भी विवेकशील व्यक्ति यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकता कि उनके खिलाफ कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोप इतने दूरगामी और असंभव हैं कि कोई भी विवेकशील व्यक्ति यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकता कि उनके खिलाफ आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त आधार हैं। शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि ऐसे हालात में अपीलकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही जारी रखने की अनुमति देना अन्याय सुनिश्चित करने जैसा होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले के आखिरी में कहा कि महिला द्वारा लगाए गए आरोप ज्यादातर सामान्य प्रकृति के हैं और इनमें इस बात का कोई विशेष ब्योरा नहीं है कि कैसे और कब उसके ससुराल वालों ने उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया,जबकि सब अलग-अलग शहरों में रहते हैं। इसके साथ ही ससुराल वालों की अपीलें स्वीकार कर ली गईं और उनके खिलाफ दायर आपराधिक शिकायत और कार्यवाही रद्द कर दी गई।

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