पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता (Sextortion in Kolkata) के एक हैरान कर देनी वाली रिपोर्ट सामने आई है, जहां सामाजिक कलंक और बहिष्कार का भय बुजुर्ग यानी सीनियर सिटीजंस को सेक्सटॉर्शन की शिकायतें वापस लेने के लिए मजबूर कर रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेक्सटॉर्शन के शिकार कम से कम चार सीनियर सिटीजंस ने अपनी शिकायतें वापस लेने की इच्छा व्यक्त की है।
क्या है पूरा मामला?
रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला तब सामने आया जब पीड़ित बुजुर्गों ने सामाजिक कलंक और बहिष्कार के डर से अदालती कार्यवाही में भाग लेने से इनकार कर दिया। मामलों को आगे बढ़ाने में उनकी अनिच्छा ने कई साइबर सेल को स्पेशल काउंसलिंग सेशन की व्यवस्था करने के लिए मजबूर किया है, ताकि उन्हें आश्वस्त किया जा सके कि अपराध की रिपोर्ट करने में कुछ भी “शर्मनाक” नहीं है। सूत्रों ने अखबार को बताया कि पांच साइबर सेल में से प्रत्येक को पिछले महीने सेक्सटॉर्शन के लगभग 10-12 मामले मिले हैं।
साउथ डिवीजन साइबर सेल के एक अधिकारी ने कहा कि हालात ऐसे हो गए हैं कि हमें इन बुजुर्ग पीड़ितों को अपने कार्यालयों में बुलाना पड़ा और उन्हें आश्वस्त करना पड़ा कि कोई भी उनकी प्रतिष्ठा को बर्बाद नहीं कर सकता। उनकी कई बार काउंसिलिंग की जा रही है। जांच अधिकारी ने कहा कि वे शुरू में टूट गए थे। सभी पीड़ित अत्यधिक मानसिक आघात से गुजर रहे थे।
अधिकारी ने कहा कि उन्होंने उनसे बार-बार पूछा कि क्या यह ऑनलाइन लीक हो जाएगा? अधिकारी ने कहा कि सीनियर सिटीजंस ने सम्मान पाने में अपना पूरा जीवन बिताया है। यह स्वाभाविक है कि उन्हें खतरा महसूस होगा। यही मनोविज्ञान है, जो आरोपियों को उन्हें निशाना बनाने के लिए प्रेरित कर रहा है। जब तक वे जवाबी कार्रवाई नहीं करते, आरोपियों को खुली छूट मिलेगी।
बुजुर्गों को ऐसे बना रहे हैं शिकार
सूत्रों का दावा है कि आरोपी वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाने के लिए दो तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। आरोपी शुरू में सामान्य तरीके से व्हाट्सएप वीडियो कॉल करते हैं। फिर बातचीत के स्क्रीनशॉट लेकर रख लेते हैं। इसके बाद जबरन वसूली कॉल करने से पहले तस्वीरें लगाई जाएंगी। बुजुर्गों के खिलाफ अब जो दूसरा तरीका अपनाया जा रहा है, जो और भी भयावह है। गैंग एक लक्ष्य तय कर रहे हैं और पीड़ितों को सामने नग्नता दिखाने के कुछ ही सेकंड के भीतर सीधे जबरन वसूली कॉल कर रहे हैं। एक अधिकारी ने कहा कि आरोपी खुद को पुलिस और केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी बता रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि उनके पास पीड़ितों की इंटरनेट सर्च हिस्ट्री है।
पुलिस का मानना है कि कुख्यात भरतपुर (मेवाती) गैंग या शहर में उनकी शाखाएं ऐसे अपराधों में लिप्त हैं। अधिकारी ने कहा कि पीड़ित को बहिष्कृत होने के डर से उबरना चाहिए और आगे के नुकसान से बचने के लिए ऐसे मामलों की रिपोर्ट करनी चाहिए। अधिकारी ने चेतावनी देते हुए कहा, ”अगर आप चुप रहेंगे और पुलिस के पास नहीं आएंगे तो आरोपी पैसे ऐंठना जारी रखेंगे।”
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