तमिलनाडु सरकार (Tamil Nadu Govt) ने एक करोड़ से अधिक महिलाओं को मासिक आर्थिक सहायता देने के लिए ‘कलैग्नार मगलिर उरीमाई थोगई थित्तम (Kalaignar Magalir Urimai Thogai Thittam)’ नामक एक नई योजना की शुरुआत की है। इसके तहत 15 सितंबर को 1.06 करोड़ पात्र महिला परिवार मुखियाओं को 1,000-1,000 रुपये की मासिक वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई। 16 सितंबर को जब तमिलनाडु में कई महिलाएं सुबह उठीं, तो पाया कि उनके बैंक अकाउंट्स में किसी ने 1,000 रुपये जमा किए हैं। बाद में उन्हें पता चला कि यह पैसे राज्य सरकार की सामाजिक कल्याण पहल ‘कलैग्नार मगलिर उरीमाई थोगई थित्तम’ से आया है, जिसे मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 15 सितंबर को कांचीपुरम में लॉन्च किया था।
क्या है नया स्कीम? जानें सभी डिटेल्स
सीएम स्टालिन द्वारा योजना के लाभार्थियों को डेबिट कार्ड भी दिए गए हैं। राज्य के मंत्रियों ने अपने जिलों में कार्यक्रम शुरू किया। इस योजना के तहत सभी पात्र महिला लाभार्थियों के बैंक अकाउंट में प्रति माह 1,000 रुपये जमा किए जा रहे हैं। महिलाओं को वित्तीय सहायता के साथ-साथ यह योजना पूर्व सीएम सीएन अन्नादुराई की विरासत को भी श्रद्धांजलि देती है, क्योंकि यह उनकी जयंती के साथ मेल खाता है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक अकाउंट्स में ट्रांसफर की जाएगी और उन्हें राशि निकालने के लिए ATM कार्ड भी दिए गए हैं। इस योजना के तहत सरकार को कुल लगभग 1.63 करोड़ आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से कुल 1.06 करोड़ स्वीकार किए गए हैं।
इस साल पेश किए गए राज्य बजट में इस योजना के लिए 7,000 करोड़ रुपये की राशि अलग रखी गई थी, जिससे यह तमिलनाडु सरकार के लिए सबसे अधिक खर्च करने वाली सामाजिक कल्याण योजना बन गई। लाभार्थियों को योजना के बारे में सूचित और अपडेट्स रखने के लिए तमिलनाडु सरकार ने पहले कहा था कि वे SMS भेजकर जानकारी देते रहेंगे। सुव्यवस्थित और कुशल वितरण प्रक्रिया सुनिश्चित करते हुए वित्तीय सहायता सीधे लाभार्थियों के बैंक अकाउंट्स में ट्रांसफर की जा रही है। जारी ATM कार्ड से पात्र महिलाएं आवश्यकतानुसार आवंटित राशि निकाल सकेंगी।
कौन उठा सकता है इसका लाभ?
योजना के तहत 21 साल से अधिक उम्र की महिलाएं और ट्रांसजेंडर व्यक्ति पात्र हैं। इसमें अविवाहित और विधवा महिलाएं शामिल हैं जो अपने घर की मुखिया हैं। आवेदकों की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से कम होनी चाहिए, जिससे यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो। भूमि स्वामित्व को भी ध्यान में रखा जाता है। आवेदकों को 10 एकड़ से कम सूखी भूमि या पांच एकड़ आर्द्रभूमि का मालिक होने की अनुमति दी जाती है।
आय और भूमि स्वामित्व के अलावा, परिवार की वार्षिक घरेलू बिजली खपत 3,600 यूनिट से कम होनी चाहिए। जबकि योजना का लक्ष्य समावेशी होना है। व्यक्तियों की कुछ कैटेगरी को छूट दी गई है, जो इस योजना के लिए अप्लाई नहीं कर सकेंगे। इनमें राज्य और केंद्र सरकारों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) के कर्मचारी, बैंक कर्मचारी, आयकरदाता, पेशेवर करदाता, पेंशनभोगी, स्थानीय निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधि और चार पहिया वाहनों के मालिक शामिल हैं।
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