उत्तर प्रदेश सरकार के एक नए आदेश के मुताबिक, साल 2004 के बाद जिन भी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की शादी हुई है, उन्हें दहेज का ब्योरा शासन को भेजना होगा। ऐसे सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को महिला एवं बाल कल्याण विभाग की तरफ से नोटिस भेजा जा चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी के सभी सरकारी कर्मचारियों, जिनकी शादी 31 मार्च, 2004 के बाद हुई थी, उनको एक हलफनामा प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है, जिसमें कहा गया है कि उन्हें अपनी शादी में कोई दहेज नहीं मिला है।
महिला कल्याण विभाग की ओर से हाल ही में जारी सर्कुलर के जरिए यह निर्देश दिए गए हैं। 12 अक्टूबर, 2021 को सभी विभागाध्यक्षों, आयुक्तों और डीएम सहित अन्य को जारी किए गए सर्कुलर में 18 अक्टूबर तक दिए गए मेल आईडी पर हलफनामा भेजने को कहा गया है। अधिकारियों से अनुरोध किया गया है कि वे ‘दहेज रहित’ हलफनामा दाखिल नहीं करने वाले कर्मियों के खिलाफ शख्त कार्रवाई करें।
घोषणा पत्र भरकर देना अनिवार्य होगा
महिला कल्याण के डायरेक्टर मनोज राय ने कहा कि जिन सरकारी कर्मचारियों की शादी 31 अप्रैल 2004 के बाद हुई है उनके लिए यह घोषणा पत्र भरकर देना अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि यह संभवत: पहली बार है जब हमारे विभाग ने राज्य में दहेज विरोधी कानून के प्रावधानों को लागू कराने के लिए गंभीर प्रयास में सरकारी कर्मचारियों से दहेज नहीं लेने का हलफनामा मांगा है।
राय ने कहा कि अब हमने 31 मार्च 2004 के बाद शादी करने वाले कर्मचारियों को हलफनामा प्रस्तुत करने के लिए कहा है जिसमें कहा गया है कि उन्हें शादी के समय कोई दहेज नहीं मिला। दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत, देश भर के सभी लोक सेवकों को शामिल होने के समय एक हलफनामा प्रस्तुत करना अनिवार्य है, जिसमें कहा गया है कि घोषणा पत्र में कर्मियों को यह बताना होगा कि उन्होंने अपनी शादी के दौरान दहेज लिया था या नहीं।
यूपी सरकार द्वारा बनाए गए नए नियम
दरअसल, दहेज की कुप्रथा को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश दहेज प्रतिषेध नियमावली, 1999 बनाई गई है। 31 मार्च 2004 को उत्तर प्रदेश दहेज प्रतिषेध नियमावली 2004 में पहला संशोधन किया गया था। अब इस नियमावली के नियम 5 में यह प्रावधान कर दिया गया है कि हर सरकारी कर्मचारी को अपनी शादी के समय संबंधित विभाग प्रमुख को एक स्व-हस्ताक्षरित घोषणा पत्र देना होगा। इस घोषणा पत्र में कर्मचारी यह स्वीकार करेगा कि उसने अपनी शादी में कोई दहेज नहीं लिया है।
जारी सर्कुलर में कहा गया है कि आपसे अनुरोध है कि अपने अधीन कार्यालयों में पदस्थापित सभी सरकारी सेवकों से 18 अक्टूबर तक शपथ पत्र अवश्य प्राप्त कर लें। इस शपथ पत्र के साथ कि उन्हें अपनी शादी में दहेज नहीं मिला है। कृपया इस आशय का शपथ पत्र नहीं देने वाले कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करें।
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, जिन लोगों को चीजों की जानकारी थी, उन्होंने यह भी कहा कि महिला कल्याण विभाग को भी ‘दहेज नहीं’ हलफनामे प्रस्तुत करने के अनुपालन पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने और संसद विधायी समिति को गैर-अनुपालन के लिए की गई कार्रवाई पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की संभावना थी।
दहेज को सामाजिक बुराई कहा जाता है और दहेज विरोधी कानून के तहत देश में दहेज लेना और देना अवैध है, जिसके अनुसार दहेज लेने या देने वाले व्यक्ति के खिलाफ 5 साल तक की कैद और 15,000 रुपये का जुर्माना या दहेज के मूल्य के साथ दंडनीय है।कहा जाता है कि दहेज नहीं देने वाले हलफनामे की मांग करने वाले सर्कुलर ने कई सरकारी कर्मियों को असमंजस में डाल दिया है।
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