सेव इंडियन फैमिली (SIF) संकट में फंसे पुरुषों के लिए एक मेन्स राइट्स NGO है। खासकर उन लोगों के लिए जो घर में घरेलू समस्याओं से जूझ रहे हैं। एसआईएफ भारत भर में गैर सरकारी संगठनों का एक ग्रुप है, जो 2005 में अस्तित्व में आया था। वर्तमान में एसआईएफ के देश भर में 40 से अधिक NGO हैं।
देश में लॉकडाउन के अभूतपूर्व समय और इसके विस्तार की अवधि ने अचानक एक ऐसी स्थिति पैदा कर दी है, जहां कई कामकाजी पुरुष जो 24 घंटे घर पर हैं, उन्हें पत्नियों द्वारा उत्पीड़न, गाली-गलौज, ताने और कभी-कभी शारीरिक हिंसा का भी सामना करना पड़ा है। जी हां, यह घरेलू हिंसा का दूसरा पहलू है, जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता या फिर यह सोशल मीडिया पर मजेदार चर्चा का विषय बनकर रह जाता है।
पतियों का आघात केवल एक अतिरंजित बयान नहीं है, बल्कि वास्तविक उदाहरणों का समर्थन है जो भारत भर के 22 राज्यों के 1,774 पुरुषों द्वारा किया गया है। अप्रैल 2020 में 1774 पुरुषों ने लॉकडाउन के दौरान पत्नियों द्वारा घरेलू हिंसा का आरोप लगाते हुए NGO एसआईएफ की हेल्पलाइन एक्सटेंशन पर किया फोन किया था।
संकट के सभी कॉलों में उनकी पत्नी द्वारा घरेलू हिंसा का आरोप लगाया गया है। हालांकि, एनजीओ के ट्रस्टियों का कहना है कि लॉकडाउन लागू होने से पहले के महीनों की तुलना में लॉकडाउन के दौरान कॉल करने वालों की औसत संख्या में 40 फीसदी की कमी आई है।
28 अप्रैल 2020 को SIFONE ने एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी की जिसमें प्राप्त कॉलों की संख्या का डिटेल दिया गया। एनजीओ ने अपना राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर +91 8882 498 498 भी पोस्ट किया जहां घरेलू शोषण से पीड़ित पुरुष सहायता के लिए पहुंच सकते हैं। SIFOne, SIF (एनजीओ के समूह) के स्वयंसेवकों द्वारा संचालित संकटग्रस्त पुरुषों के लिए अखिल भारतीय हेल्पलाइन है।
एनजीओ के ट्रस्टी मनिंदर सिंह ने बताया कि हमारे हेल्पलाइन नंबरों पर हमसे संपर्क करने वाले कई पुरुषों ने कहा है कि वे अपनी पत्नियों द्वारा पीड़ित हैं और धमकी के कारण दिन के दौरान संपर्क करने में असमर्थ हैं। ऐसे में कॉल की संख्या में कमी आई है। कम से कम 95 प्रतिशत कॉल रात 10 बजे के आसपास प्राप्त होते हैं, जो कि लॉकडाउन से पहले दुर्लभ था।
अपने नौ एक्सटेंशन पर प्राप्त कॉलों का एक संकलित डेटा शेयर करते हुए सिंह ने मीडिया को बताया कि एक अप्रैल से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और उत्तराखंड से सबसे अधिक कॉल प्राप्त हुए थे। जिसमें 26 दिनों में इन चार राज्यों से 356 पुरुषों ने फोन किया था, जबकि एक महीने में चार राज्यों से औसतन 597 कॉल आती थीं।
सिंह द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार…
– कर्नाटक हेल्पलाइन पर 58 कॉल आए थे
– पंजाब और हिमाचल प्रदेश एक्सटेंशन को 88 कॉलें आई थीं
– तमिलनाडु को नौ कॉल मिले थे
– दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर से 313 कॉल आए थे
– आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 24 कॉल रिकॉर्ड की गईं थीं
– पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और उत्तर पूर्व से सामूहिक रूप से 46 कॉलों आए थे
महाराष्ट्र और गुजरात एक्सटेंशन को 185 कॉल मिले
– मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ एक्सटेंशन को 110 कॉल मिले थे
– उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और उत्तराखंड एक्सटेंशन को 356 कॉल आए थे
– वहीं, 577 कॉल करने वालों ने किसी एक्सटेंशन का विकल्प नहीं चुना था
– डेटा से यह भी पता चला कि एनजीओ हेल्पलाइन पर औसतन हर दिन 113 कॉल आती थीं। हालांकि, लॉकडाउन लागू होने के बाद से हर दिन कॉल की संख्या घटकर 68 रह गईं।
मेंस डे आउट के साथ अपने विचार साझा करते हुए अमित ने कहा कि लॉकडाउन के बाद से हमें हमारी हेल्पलाइन पर ऐसे पुरुषों के फोन आ रहे हैं जो घर पर विभिन्न प्रकार की घरेलू हिंसा का सामना कर रहे हैं। ऐसे समय में जब वे पहले से ही उन अनिश्चितताओं के बीच दबाव में हैं जो लॉकडाउन अपने साथ लाए हैं। उन्हें उनकी पत्नियों द्वारा ताने, गाली, अपमान, शारीरिक, मानसिक और यौन हिंसा का शिकार होना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि हम घरेलू दुर्व्यवहार का सामना करने वाले पुरुषों तक पहुंचने के लिए #DomesticViolenceOnMen के साथ एक ऑनलाइन अभियान चला रहे हैं। इस संदेश के साथ कि उन्हें बाहर आना चाहिए और अपनी दिक्कतों को साझा करना चाहिए। उन्हें किसी भी आत्म-नुकसान या आत्महत्या के बारे में नहीं सोचना चाहिए। कभी-कभी पुरुष तब हमारा सहारा लेते हैं जब उन्हें कोई उम्मीद नहीं दिखाई देती है।
लॉकडाउन के दौरान हेल्पलाइन को मिले कुछ मामले इस प्रकार हैं:
रविवार की रात करीब 10.45 बजे, चंडीगढ़ के एक 30 वर्षीय व्यक्ति ने हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके आरोप लगाया कि उसकी पत्नी उसके साथ मारपीट कर रही है और उसने एक झूठी शिकायत पर पुलिस को भी बुला लिया था। उसने हेल्पलाइन काउंसलर से शिकायत किया था कि उसकी छह साल की शादी में पहली बार उसकी 28 वर्षीय पत्नी उसके साथ मारपीट कर रही है और उसे लखनऊ में अपने माता-पिता के घर जाने के लिए मजबूर कर रही थी। कॉल करने वाले को SIF हेल्पलाइन काउंसलर द्वारा काउंसलिंग की गई, पुलिस के साथ सहयोग करने और लॉकडाउन समाप्त होने के बाद अपने विशेषज्ञ के साथ एक व्यक्तिगत बैठक सत्र में भाग लेने के लिए सलाह दी गई थी।
ये भी पढ़ें:
देहरादून: पत्नी से लंबी बातचीत के बाद डॉक्टर ने कार में खुद को गोली मारकर की खुदकुशी, जांच जारी
ARTICLE IN ENGLISH:
1774 Men Called NGO’s Helpline Alleging Domestic Violence By Wives During Lockdown
पुरुषों के लिए समान अधिकारों के बारे में ब्लॉगिंग करना या जेंडर पक्षपाती कानूनों के बारे में लिखना अक्सर विवादास्पद माना जाता है, क्योंकि कई लोग इसे महिला विरोधी मानते हैं। इस वजह है कि अधिकांश ब्रांड हमारे जैसे पोर्टल पर विज्ञापन देने से कतराते हैं।
इसलिए, हम दानदाताओं के रूप में आपके समर्थन की आशा करते हैं जो हमारे काम को समझते हैं और इस उद्देश्य को फैलाने के इस प्रयास में भागीदार बनने के इच्छुक हैं। मीडिया में एक तरफा जेंडर पक्षपाती नेगेटिव का मुकाबला करने के लिए हमारे काम का समर्थन करें।
हमें तत्काल दान करने के लिए, ऊपर "अभी दान करें" बटन पर क्लिक करें। बैंक ट्रांसफर के माध्यम से दान के संबंध में जानकारी के लिए यहां क्लिक करें। click here.