सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाल ही में भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code- IPC) की धारा 498A के तहत दोषी एक पति पर लगाई गई सजा को कम कर दिया, क्योंकि उसकी पत्नी ने कोर्ट के सामने कहा कि वह अपने पति से जुड़ना चाहती है और अपने वैवाहिक जीवन को पुनर्जीवित करना चाहती है।
क्या है मामला?
लाइव लॉ वेबसाइट के मुताबिक, इस मामले में पति को IPC की धारा 498A के तहत दोषी ठहराया गया था। निचली अदालत ने दो साल की सजा सुनाई थी जिसे अपीलीय अदालत ने बरकरार रखा था। हाई कोर्ट ने अपने पुनरीक्षण क्षेत्राधिकार में सजा के फैसले में हस्तक्षेप नहीं किया, लेकिन मूल सजा को घटाकर छह महीने कर दिया। इसके बाद पति अब इस मामले में और राहत की उम्मीद लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।
सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस विक्रम नाथ ने अपने फैसले में कहा, “हमें अपीलकर्ता की सजा के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला। इस अपील में दिए गए फैसले में कोई विकृति नहीं है।”
शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि इस समय, प्रतिवादी-पत्नी ने अपने वकील के माध्यम से पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि वह अपने पति के साथ रहना चाहती है और अपने वैवाहिक जीवन को पुनर्जीवित करना चाहती है।
अदालत ने कहा, “इस कार्यवाही में, हम उस आधार पर कोई आदेश पारित नहीं कर सकते हैं। उस उद्देश्य के लिए, प्रतिवादी-पत्नी ऐसे कदम उठा सकती है जैसा कि सलाह दी जा सकती है। समग्र परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हम अपीलकर्ता की कठोर कारावास की सजा को कम कर देते हैं।”
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