अपराध का कोई जेंडर नहीं होता (Crime Has No Gender)। अब समय आ गया है कि समाज सभी महिलाओं को पीड़ित के रूप में देखना बंद कर दे। हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा हाल ही में मुंबई से रिपोर्ट किए गए एक मामले में एक 72 वर्षीय महिला को उचित लाइसेंस के बिना दशकों तक फैमिली कोर्ट में वकील के रूप में प्रैक्टिस करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
क्या है पूरा मामला?
फर्जी वकील के लाइसेंस के आधार पर विभिन्न अदालतों में प्रैक्टिस करने के आरोप में शनिवार 17 सितंबर को बांद्रा के पाली हिल निवासी मोर्दकै रेबेका जौब उर्फ मंदाकिनी काशीनाथ सोहिनी (Mordekai Rebecca Joub alias Mandakini Kashinath Sohini) को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने कहा है कि महिला की वकील की लाइसेंस फर्जी है, अब इसे आगे के सत्यापन के लिए महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल को भेज दिया गया है। फिलहाल, महिला को BKC पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया है।
आरोपित महिला ने पेश किया फर्जी वकालतनामा
रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने कहा कि महिला एक मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने से पहले प्रत्येक अदालत में एक नकली वकालतनामा (एक दस्तावेज जिसके द्वारा मामला दायर करने वाला पक्ष वकील को उनकी ओर से प्रतिनिधित्व करने के लिए अधिकृत करता है) पेश करके कानून की प्रैक्टिस कर रही थी।
इस साल जुलाई में बोरीवली अदालत के एक वकील अकबरली मोहम्मद खान (Akbarali Mohammed Khan) द्वारा महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद पुलिस ने उसे समन जारी किया था। हालांकि, सोहिनी तब पुलिस के सामने पेश नहीं हुई थी।
आरोपी महिला ने जमा किया फर्जी लाइसेंस
सोहिनी ने शनिवार को थाने जाकर अपना आधार कार्ड और वकालतनामा के साथ अपना लाइसेंस जमा कर दिया। जांच करने पर अधिकारियों को कानून की प्रैक्टिस करने का उसका लाइसेंस फर्जी निकला। इसके बाद पुलिस ने महिला लाइसेंस को सत्यापित करने के लिए बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र और गोवा से संपर्क किया।
पुलिस का बयान
एचटी से बात करते हुए जांच अधिकारियों ने कहा कि FIR के अनुसार, सोहिनी ने दावा किया कि उसके पास प्रैक्टिस करने के लिए एक वैध लाइसेंस है और उसने ‘सनद’ या ‘लाइसेंस’ नंबर (MAH/253/1979) जमा किया है। हालांकि, बीकेसी पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने कहा कि उसके लाइसेंस नंबर से पता चलता है कि वह उस लाइसेंस के साथ प्रैक्टिस कर रही थी जो सोलापुर के एक वकील कंबेश्वर पंडरीनाथ यशवंत को जारी किया गया था। बाद में, उसने दावा किया कि उसका असली लाइसेंस (MAH/253/1979) है। सत्यापित होने पर यह भी अमरवती के वकील सुरेश रामभाऊ गुरदे के नाम से जारी हुआ निकला।
वकील ने ऐसे किया मामले का खुलासा
बोरीवली के 44 वर्षीय खान ने आरोप लगाया था कि सोहिनी वकील नहीं है और दशकों से मुंबई के फैमिली और अन्य अदालतों में अवैध रूप से प्रैक्टिस कर रही है। खान को फैमिली कोर्ट में एक स्रोत द्वारा सोहिनी के वैध लाइसेंस के बिना अभ्यास करने की सूचना दी गई थी, जिसके बाद उन्होंने बीकेसी पुलिस में एक लिखित आवेदन दायर किया। सोहिनी को रविवार को बांद्रा हॉलिडे कोर्ट में पेश किया गया।
बार काउंसिल ऑफ फैमिली कोर्ट का बयान
बार काउंसिल ऑफ फैमिली कोर्ट के अध्यक्ष एडवोकेट शशि नायर ने कहा कि फैमिली कोर्ट में यह प्रथा प्रचलित है। नायर ने यह भी कहा कि इस बारे में फैमिली कोर्ट में एक जांच चल रही है और सभी जजों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जो कोई भी अपने मुवक्किल के लिए पेश होता है, वह वकालतनामा के साथ अपना सनद (लाइसेंस) संलग्न करे और प्रतिनिधित्व से पहले जज को जमा करे।
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