पति के पक्ष में दी गई तलाक की डिक्री को बरकरार रखते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने अपने एक हालिया आदेश में कहा है कि पत्नी का पति के ऑफिस में बार-बार आना और अभद्र भाषा के साथ माहौल खराब करना क्रूरता के कैटेगरी में आता है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि पत्नी द्वारा पति के खिलाफ बिना किसी तथ्य के सहकर्मी महिला के साथ अनैतिक संबंध की शिकायत करना भी क्रूरता की कैटेगरी में आएगा।
क्या है पूरा मामला?
पत्नी द्वारा लगातार प्रताड़ना, गाली गलौज और सैलरी छीनने से परेशान क्रूरता के आधार पर तलाक की मांग करने वाले पति के आवेदन को फैमिली कोर्ट ने 17.12.2019 को मंजूर कर लिया था। इस फैसले को पत्नी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे लेकर अदालत ने उपरोक्त टिप्पणी की है। धमतरी के कुरूद में पदस्थ का विवाह रायपुर निवासी एक विधवा महिला से साल 2010 में विवाह हुआ था। इसके बाद दोनों से एक बच्चा पैदा हुआ।
पति का आरोप है कि पत्नी उसके पैसों को बर्बाद कर रही है। उसके माता-पिता से उसको मिलने नहीं देती। पति के पैसों से ही कोयला ढुलाई का बिना अनुमति कारोबार करने लगी। विरोध करने पर पति के साथ गाली गलौज करने लगी। इतना ही नहीं ऑफिस की सहकर्मी के साथ अनैतिक संबंध का आरोप लगाते हुए पत्नी बार बार ऑफिस जाती थी और अभद्र भाषा का उपयोग कर वहां का माहौल खराब करती थी।
पत्नी ने पति के खिलाफ विवाहेतर संबंध के झूठे आरोप भी लगाए थे। इतना ही नहीं पत्नी के खिलाफ उसका ट्रांसफर कराने के लिए मुख्यमंत्री को भी एक पत्र भेज दी। फैमिली कोर्ट ने तथ्यों और सबूतों का मूल्यांकन करने के बाद पति के आवेदन को स्वीकार कर लिया, जिसमें तलाक की डिक्री दी गई।
हाई कोर्ट का आदेश
जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधा किशन अग्रवाल के डिवीजन बेंच ने कहा कि जब एक पत्नी अपने पति के ऑफिस में जाती है, वहां उसे गाली देती है और उस पर कुछ अवैध संबंधों का आरोप लगाती है, तो स्वाभाविक रूप से इससे सहकर्मियों के सामने पति की छवि खराब हो जाएगी और ऑफिस में उसका कद निश्चित रूप से नीचे चला जाएगा। साथ ही कोर्ट ने कहा कि पत्नी द्वारा पति के खिलाफ बिना किसी तथ्य के सहकर्मी महिला के साथ अनैतिक संबंध की शिकायत मंत्री से करना भी क्रूरता की कैटेगरी में आएगा।
कोर्ट का यह भी विचार था कि ससुराल वालों को गाली देना, पति को उसके माता-पिता से मिलने से रोकना और पति को अपने छोटे भाई के विवाह समारोह को छोड़ने के लिए मजबूर करना भी अप्राकृतिक क्रूर कार्य हैं, क्योंकि इस तरह के कृत्यों से छवि और प्रतिष्ठा में कमी आएगी।
अपने समक्ष मौजूद साक्ष्यों का मूल्यांकन करते हुए हाई कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अपीलकर्ता/पत्नी पति को गाली देती थी, जिसके बारे में पति ने कई बार पुलिस को शिकायत की थी। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि यह साबित हो गया है कि पत्नी ने पति के खिलाफ फर्जी अवैध संबंधों का आरोप लगाया था और यहां तक कि पत्नी ने मुख्यमंत्री को पति को कहीं दूसरे जगह ट्रांसफर करने की शिकायत भी की थी। कार्यालय में फर्जी अवैध संबंधों का आरोप लगाया।
इसके अलावा, अदालत ने पीडब्ल्यू के बयानों को भी ध्यान में रखा, जिससे यह साबित हुआ कि पत्नी पति के ऑफिस में रोजाना जाती थी और अपमानजनक भाषा के साथ वहां का माहौल खराब करती थी। समग्र साक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि फैमिली कोर्ट द्वारा पारित निर्णय और डिक्री में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। इसके साथ ही बेच ने फैमिली कोर्ट द्वारा परेशान पति को राहत देते हुए तलाक लेने की मंजूरी देने को सही माना।
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