किसी प्रियजन को खोने के बाद लोग उसे अलग-अलग तरीके से याद करते हैं। इस बीच, कोलकाता (Kolkata) के एक शख्स ने अपनी दिवंगत पत्नी को याद करने का एक नायाब तरीका निकाला है, जिसकी सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है। कोलकाता में एक 65 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी दिवंगत पत्नी की एक सिलिकॉन प्रतिमा (silicone statue) बनवाई है, जो 2021 में COVID महामारी में गुजर गई थीं। प्रतिमा की कीमत 2.5 लाख रुपये है। सिलिकॉन प्रतिमा को पत्नी के पसंदीदा कमरे में रखा गया है, जो अविश्वसनीय रूप से सजीव लगता है, क्योंकि यह एक सोफे पर टिकी हुई है।
क्या है पूरा मामला?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कोलकाता के 65 वर्षीय तापस शांडिल्य (Tapas Sandilya) ने अपनी दिवंगत पत्नी इंद्राणी की सिलिकॉन स्टैच्यू बनवाई है। दरअसल, कोरोना की दूसरी लहर में उनकी पत्नी इंद्राणी की मौत हो गई थी। इसके बाद तापस ने 2.5 लाख रुपए खर्च कर उनकी प्रतिमा बनवाई। प्रतिमा को देखकर वह किसी सजीव इंसान की तरह ही लगती है। इंद्राणी का यह पुतला पड़ोसियों, इलाके के बाहर से कभी-कभार आने वाले विजिटर्स को आकर्षित करता है। तापस रिटायर्ड केंद्रीय कर्मचारी हैं। वह कहते हैं कि वह अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता हूं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कोलकाता के कैखाली इलाके में रहने वाले तापस ने बताया कि वे करीब 10 साल पहले पत्नी के साथ मायापुर के इस्कॉन मंदिर गए थे। यहां दोनों ने ए. सी. भक्तिवेदांत स्वामी की सजीव प्रतिमा देखी, जिससे वे काफी प्रभावित हुए। तभी इंद्राणी ने तापस से कहा कि अगर मेरी मौत हो जाती है तो आप मेरी ऐसी ही प्रतिमा बनवा लेना। उन्होंने कहा कि यह मजाक था, लेकिन वह पत्नी के इस इच्छा को लेकर गंभीर थे। उन्होंने तभी ठान लिया था कि अगर उनके जिंदा रहते उनकी पत्नी को कुछ हुआ तो वह उनकी इच्छा जरूर पूरी करेंगे।
कोरोना में पत्नी की हो गई थी मौत
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में इंद्राणी संक्रमित हुईं, फिर 4 मई 2021 को उनकी मौत हो गई। इस हादसे ने तापस को अंदर तक हिला दिया। फिर तापस ने पत्नी की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए इंटरनेट पर सिलिकॉन की प्रतिमा बनाने वालों लोगों के बारे में सर्च करना शुरू किया। तापस की तलाश 2022 की शुरुआत में समाप्त हुई। उन्होंने मूर्तिकार सुबीमल दास को पत्नी की प्रतिमा बनाने की जिम्मेदारी सौंपी।
इंद्राणी की मूर्ति बनाने के लिए सुबीमल ने तापस से उनकी तस्वीरें मांगी। सुबीमल बताते हैं कि सबसे पहले उन्होंने मिट्टी का मॉडल बनाया, फिर फाइबर मोल्डिंग और सिलिकॉन कास्टिंग की गई। 46 वर्षीय दास ने इसे अपनी सबसे चुनौतीपूर्ण प्रोजेक्ट में से एक बताया। उन्होंने कहा कि प्रतिमा के लिए यथार्थवादी चेहरे की अभिव्यक्ति होना नितांत आवश्यक थी।
उन्हें यह प्रतिमा बनाने में करीब 6 महीने लगे, क्योंकि विभिन्न कोणों से इंद्राणी के चेहरे की तस्वीरें एकत्र कीं। सबसे पहले, एक मिट्टी का मॉडल बनाया गया, उसके बाद फाइबर मोल्डिंग और सिलिकॉन कास्टिंग की गई। अब कोई भी तापस के घर आता है तो उसे यह नहीं लगता कि इंद्राणी अब उनके साथ नहीं हैं।
प्रतिमा का वजन 30 किलो है, तापस उस प्रतिमा को अपनी पत्नी की तरह सोने के गहने पहनाकर रखते हैं। तापस बताते हैं कि शुरुआत में मेरे कई रिश्तेदार इस फैसले के खिलाफ थे। हालांकि बाद में सभी मेरी जिद के आगे सब झुक गए। मूर्तिकारों ने कहा कि मोम की मूर्ति की तुलना में एक सिलिकॉन मूर्तिकला को बनाए रखना बहुत आसान होता है।
पुरुषों के लिए समान अधिकारों के बारे में ब्लॉगिंग करना या जेंडर पक्षपाती कानूनों के बारे में लिखना अक्सर विवादास्पद माना जाता है, क्योंकि कई लोग इसे महिला विरोधी मानते हैं। इस वजह है कि अधिकांश ब्रांड हमारे जैसे पोर्टल पर विज्ञापन देने से कतराते हैं।
इसलिए, हम दानदाताओं के रूप में आपके समर्थन की आशा करते हैं जो हमारे काम को समझते हैं और इस उद्देश्य को फैलाने के इस प्रयास में भागीदार बनने के इच्छुक हैं। मीडिया में एक तरफा जेंडर पक्षपाती नेगेटिव का मुकाबला करने के लिए हमारे काम का समर्थन करें।
हमें तत्काल दान करने के लिए, ऊपर "अभी दान करें" बटन पर क्लिक करें। बैंक ट्रांसफर के माध्यम से दान के संबंध में जानकारी के लिए यहां क्लिक करें। click here.