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Home हिंदी कानून क्या कहता है

असम: कोर्ट ने महिला को झूठा बलात्कार का मामला दर्ज कराने के आरोप में न्यायिक हिरासत में भेजा, भूमि विवाद के कारण दर्ज कराई थी फर्जी रेप का केस

Team VFMI by Team VFMI
July 29, 2022
in कानून क्या कहता है, हिंदी
0
voiceformenindia.com

Assam Court Sends Woman To Jail For Filing False Rape Case

42
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हमारे समाज में बलात्कार सबसे जघन्य अपराधों में से एक है। बलात्कार के हर एक दोषी को कठोर से कठोर सजा देनी चाहिए। लेकिन, क्या यह महिलाओं को एक निर्दोष पुरुष के खिलाफ अपने फायदे के लिए बलात्कार कानूनों का दुरुपयोग करने का लाइसेंस देता है?

ज्यादातर मामलों में जो झूठे साबित होते हैं, उनमें आरोपी पुरुषों को वर्षों और दशकों तक जेल में रहने के बाद बरी कर दिया जाता है, जबकि इस तरह के फर्जी मामले दर्ज कराने वाली महिलाओं को कोई सजा नहीं होती है।

हालांकि, असम से एक दुर्लभ मामला सामने आया है, जहां एक अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने एक महिला को बलात्कार का आरोप लगाते हुए झूठी FIR दर्ज करने के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया है।

क्या है मामला?

असम के हैलाकांडी की एक महिला ने IPC की धारा 448 और 376 के तहत एक व्यक्ति पर ‘बलात्कार’ करने का आरोप लगाते हुए झूठी FIR दर्ज कराई थी। रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री का विश्लेषण करने के बाद, अदालत ने कहा कि ‘कथित पीड़िता’ ने झूठे सबूत दिए और आरोपी व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही की मांग की, क्योंकि उसे भूमि विवाद मामले में पुरुष से शिकायत थी और वह झूठा केस कर व्यक्तिगत दुश्मनी निकालता चाहती थी।

असम कोर्ट का आदेश

15 जुलाई को अदालत में झूठे सबूत देने के आरोप में उसके खिलाफ धारा 193 और 195 IPC के तहत मामला दर्ज किया गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के आदेश के अनुसार, शिकायतकर्ता को हिरासत में ले लिया गया है और उसके पिता को सूचित किया गया कि अधिकारियों को डर है कि वह कानून से बचने की कोशिश कर सकती है। कथित पीड़िता (अब आरोपी महिला) को तब मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि बलात्कार का अपराध प्रकृति में गंभीर है। जब भी ऐसी कोई घटना सामने आती है तो पूरी मानवता इस तरह के बर्बर कृत्य का विरोध करने लगती है और समाज गलत करने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी सजा की मांग करता है।

जज ने कहा कि कभी-कभी ऐसा महसूस होता है कि कुछ झूठे मुकदमे भी दर्ज हो जाते हैं और जिससे कई पुरुषों का जीवन बर्बाद हो जाता है। कोर्ट ने कहा कि जिस व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन किया गया है, उसे न्याय दिलाने के लिए न्यायालय की स्थापना की जाती है।

कोर्ट ने आगे कहा कि अदालत या पुलिस अधिकारियों को दूसरों के उत्पीड़न के हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। न्याय की मांग है कि जो कोई भी कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करता है उसे भी सबक मिलना चाहिए ताकि समाज में समान विचारधारा वाले व्यक्ति को भविष्य में इस तरह के कृत्यों से रोका जा सके।

इस मामले में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मीडिया को बताया कि इस प्रकार की सजा उन लोगों को रोकेगी जो झूठी शिकायतें दर्ज कराते हैं और व्यक्तिगत दुश्मनी को निपटाने के लिए पुलिस और न्यायपालिका का दुरुपयोग करते हैं।

Assam Court Sends Woman To Judicial Custody For Filing False Rape Case Owing To Land Dispute Between Her & Accused

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Tags: Assamfalse rapeफ़र्ज़ी बलात्कार मामला
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