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Home हिंदी कानून क्या कहता है

बच्चों के सर्वोत्तम हित पर विचार किया जाना चाहिए, न कि बच्चे की इच्छा क्या है: मद्रास हाईकोर्ट ने पिता को सौंपी कस्टडी

Team VFMI by Team VFMI
February 12, 2023
in कानून क्या कहता है, हिंदी
0
voiceformenindia.com

Best Interest Of Children To Be Considered And Not What Is The Wish Of Child- Madras High Court Grants Custody To Father

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मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने हाल ही में कहा कि कस्टडी के लिए दायर एक याचिका पर सुनवाई करते समय बच्चे के सर्वोत्तम हित को देखा जाना चाहिए। साथ ही तत्काल मामले में कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में यह बच्चों के सर्वोत्तम हित में होगा यदि उसकी कस्टडी पिता को दी जाती है। जस्टिस पी.एन. प्रकाश और जस्टिस एन. आनंद वेंकटेश की पीठ ने कहा कि इस प्रकृति के मामलों में अदालत बच्चों के कहने के आधार पर फैसला नहीं करती है, क्योंकि वे अपने जीवन में एक बड़ी उथल-पुथल के बीच हैं। इसलिए, अदालत बच्चों के सर्वोत्तम हित के आधार पर फैसला करेगी। खंडपीठ ने आगे कहा कि “बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सुनवाई योग्य है और यह न्यायालय बच्चों के सर्वोत्तम हितों के लिए अपने असाधारण अधिकार क्षेत्र का आह्वान कर सकता है। इसके साथ ही बच्चों की कस्टडी याचिकाकर्ता-पिता को दे दी।

क्या है पूरा मामला?

Verdictum.in के मुताबिक, याचिकाकर्ता-पिता और प्रतिवादी-मां दोनों पहले अमेरिकी नागरिक थे। उनकी शादी भारत में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार वर्ष 1999 में हुई थी। उन्होंने शादी के 10 दिनों के बाद भारत छोड़ दिया और 2008 में उनके जुड़वां लड़के हुए। दोनों बच्चों ने जन्म से ही अमेरिकी नागरिकता हासिल कर की और दिसंबर 2020 तक USA में ही उनका पालन-पोषण हुआ। इसके बाद प्रतिवादी और बच्चे अपने दादा-दादी से मिलने भारत आए। लेकिन याचिकाकर्ता और प्रतिवादी के बीच कुछ वैवाहिक कलह के कारण प्रतिवादी ने मई 2021 भारत में रूकने का फैसला किया।

इसके बाद याचिकाकर्ता द्वारा कानूनी नोटिस जारी किया गया, जिसमें प्रतिवादी को बच्चों के साथ USA लौटने के लिए कहा गया था। आगे दोनों के बीच सुलह की प्रक्रिया विफल रही और अक्टूबर 2021 में याचिकाकर्ता ने वर्जीनिया में कोर्ट के समक्ष तलाक और बच्चों की कस्टडी के लिए एक अर्जी दी। वर्जीनिया की अदालत ने याचिकाकर्ता-पिता को बच्चों की कस्टडी सौंप दी। इस बीच, प्रतिवादी ने मद्रास हाई कोर्ट के समक्ष बच्चों की स्थायी कस्टडी के लिए याचिका दायर की।

कोर्ट का आदेश

खंडपीठ ने रोहित थम्मन गौड़ा बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य, सिविल अपील संख्या 4987/2022 के मामले में सु्प्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख किया, जिसमें यह कहा गया था कि एक बच्चे की कस्टडी के सवाल से जुड़े मामले में यह यह ध्यान में रखना होगा कि ‘बच्चे की इच्छा क्या है’। साथ ही यह भी देखना होगा कि बच्चे के सर्वोत्तम हित में क्या होगा। निश्चित रूप से बातचीत के माध्यम से बच्चे की इच्छा का पता लगाया जा सकता है लेकिन फिर, ‘बच्चे के सर्वोत्तम हित में क्या होगा’ का सवाल सभी प्रासंगिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अदालत द्वारा तय किया जाने वाला मामला है।

कोर्ट ने कहा कि बच्चों से पूछताछ करने पर कोर्ट ने महसूस किया कि बच्चे प्रतिवादी-मां के पूर्ण नियंत्रण में हैं। वे उन सभी सुविधाओं को छोड़ने को तैयार थे, जो उन्हें पहले अमेरिका में मिली थीं। न्यायालय ने आगे बच्चों की स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त की, क्योंकि बच्चों ने अन्य बच्चों के साथ शारीरिक संपर्क खो दिया था और जिन गतिविधियों में वे पहले शामिल थे, वे बंद हो गए थे। बच्चे धीरे-धीरे याचिकाकर्ता के साथ संपर्क खो रहे थे और कहा कि “वर्तमान स्थिति की निरंतरता, इन बच्चों की प्रगति को न केवल शिक्षा के मामले में बल्कि उनके भावनात्मक भागफल पर और अधिक नुकसान पहुंचाएगी।

इसलिए, अदालत ने कहा कि बच्चों का सर्वोत्तम हित तभी सुनिश्चित किया जा सकता है, जब बच्चे अपने मूल देश अमेरिका वापस लौट जाएं और आगे याचिकाकर्ता-पिता को कस्टडी में दे दिया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रतिवादी मां को विदेशी अदालत के फैसले की अवहेलना करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसलिए, भारत में बच्चों को अपनी कस्टडी में नहीं रख सकती है। तदनुसार, बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की अनुमति दी गई और प्रतिवादी-मां को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया कि बच्चे छह सप्ताह की अवधि के भीतर वापस अमेरिका लौट जाए।

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