यह देखते हुए कि सीनियर सिटीजन कपल (Senior citizen couple) सहमति से संबंध बनाए थे और शारीरिक संबंध के लिए मजबूर नहीं थे, बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने हाल ही में 68 वर्षीय एक व्यक्ति को 2015 में एक 61 वर्षीय महिला द्वारा उसके खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले से बरी कर दिया। जस्टिस भारती डांगरे ने 4 मई को यह कहते हुए उस व्यक्ति को जमानत दे दी कि यह दो वयस्कों के बीच का संबंध था, जो अपने कार्यों के परिणामों को समझने में सक्षम थे। अदालत ने कहा कि दोनों 2005 से लगातार 10 साल रिलेशनशिप में थे।
क्या है पूरा मामला?
Freepressjournal.in के मुताबिक, 2015 में 54 वर्षीय महिला ने पुलिस में एक FIR दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि 60 वर्षीय व्यक्ति ने 2005 से शादी का झूठा वादा कर कई बार उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। महिला की शिकायत पर शख्स के खिलाफ बलात्कार, छेड़छाड़ और आपराधिक धमकी के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। महिला अपने पहले पति से अलग हो गई थी। फिर उसने पुनर्विवाह किया, लेकिन एक दुर्घटना में उसके अपने दूसरे पति को खो दिया।
शिकायत के अनुसार, महिला पुणे के एक स्कूल में हेडमास्टर के रूप में काम करती थी, जहां का चेयरमैन आरोपी शख्स था। उसने आरोप लगाया कि उस व्यक्ति ने दावा किया कि वह अपनी शादी से नाखुश है और उसने उससे शादी करने की इच्छा व्यक्त की थी। 2005 में दोनों एक रिश्ते में आ गए जो 2015 तक चला। इसके बाद महिला ने शिकायत दर्ज कराई कि वह उससे शादी का झांसा देकर उसका शारीरिक शोषण करता था।
हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने कहा कि यह दो वयस्कों के बीच का रिश्ता था, जो अपने कार्यों के परिणाम को समझने में सक्षम थे। जज ने कहा कि किसी भी तरह की कल्पना से यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता था कि आरोपी शख्स ने शारीरिक संबंध महिला की सहमति के बिना या उसकी इच्छा के विरुद्ध बनाया था। अदालत ने कहा कि दोनों ने 2005 से 2015 तक एक दशक तक सहमति से संबंध बनाए। इसमें आगे कहा गया कि महिला को अच्छी तरह पता था कि वह शख्स पहले से ही शादीशुदा है और इसके बावजूद उसने रिश्ता जारी रखा।
जज ने आगे कहा कि बलात्कार का अपराध तब बनता है जब कृत्य महिला की “इच्छा के विरुद्ध और सहमति के बिना” किया जाता है। यहां, रिश्ता एक दशक तक चलता रहा और यह आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि यह “आपसी सहमति” से बनी थी। विस्तृत आदेश में अदालत ने कहा कि यह अनुमान लगाने का कोई कारण नहीं है कि यह रिश्ता जबरदस्ती था। यह ऐसा मामला भी नहीं है जहां एक युवक ने शादी का झांसा देकर किसी युवती को शारीरिक संबंध बनाने के लिए फुसलाया हो। इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी को जमानत दे दी।
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