बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) ने जेंडर प्रोटेक्शन लॉ के दुरुपयोग (Misuse of Gender Protection Laws) की निंदा करते हुए जनवरी 2019 में एक महिला कारोबारी और उसके पति पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
क्या है पूरा मामला?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा स्थित फील गुड इंडिया कंपनी (Feel Good India company) की मालिक नेहा गांधीर (जो कोर्ट में मुंबई स्थित सपत एंड कंपनी के साथ ट्रेडमार्क उल्लंघन की लड़ाई लड़ रही थीं) ने कथित तौर पर कोर्ट रिसीवर के खिलाफ झूठे छेड़छाड़ के आरोप दायर करने की धमकी दी थी।
सपत एंड कंपनी ने फील गुड के खिलाफ कफ सिरप के ट्रेडमार्क नाम का उल्लंघन करने के लिए मामला दर्ज किया था। हाई कोर्ट ने 21 दिसंबर, 2018 को कॉपीराइट का उल्लंघन करने से फील गुड पर रोक लगा दी और कंपनी के कारखानों से सामान जब्त करने के लिए कोर्ट रिसीवर नियुक्त किया था। टकराव 4 जनवरी को उस वक्त शुरू हुआ, जब अदालत के रिसीवर और दूसरी कंपनी के प्रतिनिधियों ने एक टेम्पो में माल की लोडिंग वीडियो-रिकॉर्ड करने की कोशिश की।
कोर्ट की अहम टिप्पणी
जस्टिस एस कथावाला ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा था कि समय-समय पर यह संकट के साथ नोट किया जाता है कि जिस जेंडर के सशक्तिकरण के लिए इसे (जेंडर प्रोटेक्शन लॉ) अधिनियमित किया गया है, ऐसे सामाजिक रूप से सक्षम लोगों द्वारा कानून का घोर दुरुपयोग किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि पुरुषों को गलत और अपमानजनक आरोपों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके बाद उन्हें अपना बचाव खुद करना होगा। सामाजिक रूप से सक्षम कानून के इस तरह के घोर और पेटेंट दुरुपयोग की अदालतों द्वारा कड़ी निंदा की जानी चाहिए और बहुत कड़े हाथ से निपटा जाना चाहिए।
नेहा गांधीर (Neha Gandhir) के वकीलों ने इस तथ्य पर विचार करते हुए कोर्ट से नरमी बरतने की मांग की कि वह दो बच्चों वाली एक युवा कारोबारी हैं। गांधीर ने स्वीकार किया कि गुस्से में उसने फोटोग्राफिक उपकरण छीन लिए थे और अदालत के रिसीवर और सपत के प्रतिनिधियों को धमकी दी थी। उसने कहा कि छेड़छाड़’ शब्द का प्रयोग आत्मा में अनायास था और इसे कला की अवधि के रूप में इस्तेमाल किया गया था। इसे बहुत डर और आशंका की स्थिति में कहा गया था।
हालांकि, हाई कोर्ट ने महिला कारोबारी की यह स्पष्टीकरण को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अगर इस तरह के घिनौने व्यवहार को किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति दया दिखाकर छोड़ दिया जाता है, जो जानबूझकर कानून की प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग करता है, और उसके बाद यह कहकर उसे सही ठहराने का प्रयास करता है कि उसने गुस्से में ऐसा किया है, तो आम जनता में गलत संदेश जाएगा। कोर्ट ने कहा कि इस तरह का आचरण अदालत के अधिकारियों को महिलाओं के खिलाफ आदेश निष्पादित करने से भी रोक सकता है।
हाई कोर्ट ने कहा कि गांधीर ने उनका फोन छीनने की कोशिश की। इतना ही नहीं जो वीडियो-ग्राफ किया गया था उसे हटाने के लिए कहा। उसे बेईमान करार देते हुए धमकी दी कि वह उनके खिलाफ छेड़छाड़ का झूठे आरोप लगाएगी। कोर्ट ने इसके साथ ही महिला कारोबारी की अपील को खारिज कर दिया और 25 लाख रुपये के जुर्माना वाले अपने आदेश को बरकरार रखा।
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