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Home हिंदी कानून क्या कहता है

‘यहां वेस्टर्न सिस्टम नहीं है कि आज शादी करें और कल तलाक ले लें’, वैवाहिक विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

Team VFMI by Team VFMI
October 25, 2022
in कानून क्या कहता है, हिंदी
0
voiceformenindia.com

Can’t Import Western System Where Plea For Divorce Is Filed One Day And Is Allowed Next Day: Supreme Court (Representation Image)

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एक पत्नी की ओर से अपने विवाह को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के समक्ष दायर एक ट्रांसफर याचिका पर सुनवाई के दौरान 13 अक्टूबर को बहुत ही नाटकीय मोड़ आ गया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि शादी कोई लापरवाही वाली चीज नहीं है। हम किसी पश्चिमी सभ्यता में नहीं हैं कि आज शादी हो और कल तलाक ले लें। पत्नी की ट्रांसफर याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की।

क्या है पूरा मामला?

सुप्रीम कोर्ट में पेश मामले में यह वैवाहिक विवाद का मामला है, जिसमें पति आपसी सहमति से अपनी पत्नी से अलग होना चाहता था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी। पति का आरोप है कि उसकी शादी जाल की तरह है और उसकी पत्नी सिर्फ पैसे में दिलचस्पी रखती है। उसने सेटलमेंट के तौर पर दो करोड़ की मांग की है। वहीं, महिला ने कहा कि वह कनाडा में काम करती थी और कोरोना महामारी के समय भारत आई। पति ने मेरे करियर को दांव पर लगा दिया है।

पति की दलील

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुनवाई के दौरान पति ने कहा कि उनकी शादी में कुछ नहीं बचा है और दोनों अब अजनबी हैं। पति ने कहा कि वे दोनों केवल 40 दिनों तक साथ रहे और लगभग दो साल से अलग रह रहे हैं। पति ने कहा कि हम अब अजनबी के अलावा कुछ नहीं हैं। अदालत के समक्ष पेश पति ने बताया कि उसकी शादी एक “हनी ट्रैप” थी। उसकी पत्नी को केवल उसके पैसे में दिलचस्पी थी।

पति ने कोर्ट को बताया कि पत्नी की ओर से सेटलमेंट के ‌लिए दो करोड़ रुपये का दावा किया गया था। पति ने दलील दी कि मैं अपने माता-पिता के साथ रहता हूं और मैं बुढ़ापे में बड़ों की सेवा करने पर भरोसा करता हूं। और उनका (पत्नी का) कनाडाई दृष्टिकोण है कि हमें अपने माता-पिता के साथ नहीं रहना चाहिए। यह मेरे मूल्यों और संस्कृति का हिस्‍सा नहीं है।

पत्नी का तर्क

वहीं, दूसरी तरफ पत्नी ने अपनी पक्ष रखते हुए कहा कि वह कनाडा में काम कर रही थी और कोरोना लॉकडाउन के दरमियान भारत आई थी। उसने आरोप लगाया कि पति ने मेरी जिंदगी और मेरे करियर को बर्बाद कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान महिला की ओर से कहा गया कि वह शादी बचाने के लिए एक मौका देना चाहती है। पत्नी की ओर से पेश वकील ने जब कहा कि वह अपने विवाह को एक और मौका देना चाहती है, तब पीठ ने कहा कि यह सुनकर हमें बहुत खुशी हुई। लेकिन दोनों पक्षों को विवाह को बचाना चाहिए। हम (अदालत) शादी को नहीं बचा सकते।

सुप्रीम कोर्ट

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका की बेंच ने विवाह पर कुछ महत्वपूर्ण टिप्‍पणियां करते हुए कहा कि कैसे किसी को अपने पार्टनर से असंभव की उम्मीद नहीं करनी चाहिए, बल्कि पति और पत्नी की ओर से लगाए गए आरोपों को भी देखना चाहिए।

सुनवाई की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच का विचार था कि दोनों पक्ष अलग होना चाहते हैं। इसलिए शीर्ष अदालत ने कहा कि दो युवाओं को, जिनके आगे पूरा जीवन है, किसी ऐसी चीज के लिए मजबूर क्यों करें जो काम नहीं कर रही है?

कुछ देर तक पति-पत्नी की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस कौल ने कहा, “जब दो अच्छे लोग नहीं मिल सकते तो क्या करें?” सुप्रीम कोर्ट ने अपनी अहम टिप्पणी में आगे कहा कि वह दो लोगों को एक साथ रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकता।

हालांकि, बेंच का विचार था कि माता-पिता की देखभाल करना एक बात है। या तो आपको विवाह नहीं करना चाहिए था और केवल अपने माता-पिता की देखभाल करनी चाहिए, या, आपको ऐसे परिदृश्य में विवाह करना चाहिए, जहां महिला काम नहीं कर रही ‌हो और आपके माता-पिता की देखभाल करे। आप ऐसी महिला से विवाह करते हैं, जो कनाडा में रह रही है, और अब आप उससे सब कुछ खत्म करने और यहां आने के लिए कहते हैं, यह कैसे संभव है?

बेंच ने आगे कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है, जहां आर्टिकल- 142 के तहत शक्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह ऐसा मामला भी नहीं है जहां हम स्वत: संज्ञान लेकर 142 का प्रयोग कर सकते हैं। इस बात पर संतुष्ट हो पाना बहुत मुश्किल है कि व‌िवाह पूरी तरह से टूट गया है, जब तक कि दोनों पक्ष यह न कहें कि विवाह टूट गया है। हलफनामों और दोनों पक्षों की दलीलों अवलोकन के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि सभी आरोप “मूर्खतापूर्ण” प्रतीत होते हैं।

कोर्ट ने कहा कि दरअसल, अगर मैं मूर्खतापूर्ण शब्द का उपयोग करूं तो दोनों पक्षों की ओर से कुछ मतभेद हैं, लेकिन यह व‌िवाह के टूटने की स्थिति तक नहीं पहुंचे हैं। और शादी ऐसी कैजुअल बात नहीं है। यह पश्चिमी व्यवस्‍था नहीं हैं, जहां आप आज शादी करें और कल तलाक ले लें। हम उन तरीकों को यहां नहीं थोप सकते… दोनों पक्ष उस मुकाम पर नहीं पहुंचे हैं, जहां विवाह में कुछ भी बचा न हो। मुझे भरोसा नहीं है कि कोशिश की गई है।

इसके साथ ही बेंच ने कपल को निजी मध्यस्थता कार्यवाही के लिए आग्रह करने का सुझाव देते हुए कहा कि यदि दोनों पक्ष अलग होना चाहते हैं, यदि वे पश्चिमी दर्शन के प्रभाव में हैं तो हम अनुमति देते। लेकिन यह एकतरफा नहीं हो सकता।

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VFMI ने पुरुषों के अधिकार और लिंग पक्षपाती कानूनों के बारे में लेख प्रकाशित किए.

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