केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने सोमवार 28 अगस्त को गुजरात की राजधानी गांधीनगर में 26वीं पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत द्वारा अपनी नई दंड संहिता अपनाने और औपनिवेशिक विरासत को अस्वीकार करने के बाद अदालतों में कोई भी मामला दो साल से अधिक समय तक जारी नहीं रहेगा। शाह ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और साक्ष्य कानून को बदलने के लिए संसद में हाल ही में पेश तीन विधेयक यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी मामला दो साल से अधिक नहीं चल सके। साथ ही उन्होंने कहा कि इससे 70 प्रतिशत नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाएगी।
‘70% नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाएगी’
एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, शाह 26वीं पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस बैठक में राज्यों और केंद्र के बीच कुल 17 मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें से 9 का हल किया गया, वहीं शेष मुद्दों को गहन चर्चा के बाद निगरानी के लिए रखा गया। पीटीआई के मुताबिक, इस दौरान गृह मंत्री शाह ने कहा, “नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा हाल ही में संसद में पेश किए गए तीन नए विधेयक भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 पारित होने के बाद कोई भी मामला दो साल से अधिक नहीं चलेगा, जिससे 70 प्रतिशत से अधिक नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाएगी।”
उन्होंने सभी राज्यों से इन कानूनों को लागू करने के लिए ज़रूरी आधारभूत संरचना तैयार करने की दिशा में काम करने को कहा। शाह ने कहा, “पश्चिमी क्षेत्र देश का एक महत्वपूर्ण जोन है, देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 25 प्रतिशत योगदान के साथ यह क्षेत्र वित्त, आईटी, हीरा, पेट्रोलियम, ऑटोमोबाइल और रक्षा क्षेत्र का प्रमुख केंद्र (हब) है।” उन्होंने कहा कि पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद के सदस्य राज्य लंबी तटीय सीमाएं साझा करते हैं जहां अतिसंवेदनशील संस्थान और उद्योग हैं और इनकी कड़ी सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में लगातार प्रयास करने की आवश्यकता है।
विज्ञप्ति के अनुसार बैठक में पूरे देश और विशेष रूप से सदस्य राज्यों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ जिनमें भूमि संबंधी मुद्दों का हस्तांतरण, जलापूर्ति, नीलाम की गई खदानों का संचालन, सामान्य सेवा केंद्र में नकद जमा सुविधा, बैंक शाखाओं एवं डाक द्वारा गांवों में बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाना, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन अपराध/बलात्कार के मामलों की त्वरित जांच आदि शामिल हैं।
शाह ने कहा कि क्षेत्रीय परिषदें सदस्यों के बीच उच्चतम स्तर पर व्यक्तिगत बातचीत का अवसर प्रदान करती हैं और सौहार्द एवं सद्भावना के माहौल में कठिन और जटिल प्रकृति के मुद्दों को हल करने के लिए एक उपयोगी मंच के रूप में कार्य करती हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय परिषदें, चर्चा और विचारों के आदान-प्रदान के माध्यम से, सामाजिक और आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण मुद्दों पर राज्यों के बीच एक समन्वित दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करती हैं। क्षेत्रीय परिषदें राज्यों के सामान्य हित के मुद्दों पर भी चर्चा और सिफारिशें करती हैं।
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