दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने सोमवार (20 मार्च) को एक विवाहित महिला द्वारा बलात्कार के आरोपी व्यक्ति को 12 साल तक रिश्ते में रहने और दो बच्चे होने के बाद दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखा।
क्या है पूरा मामला?
हाई कोर्ट ने एक निचली अदालत के उस आदेश के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया, जिसमें पहले अभियुक्तों को आरोपमुक्त किया गया था। जस्टिस स्वर्णकांत शर्मा ने “झूठे आरोप में फंसाने” के खिलाफ निष्पक्ष सुनवाई और एक अभियुक्त के अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि यौन उत्पीड़न के मामलों में शिकायतकर्ता निष्पक्ष सुनवाई के हकदार हैं। अभियुक्तों के अधिकारों की रक्षा के लिए आपराधिक न्याय सिस्टम की जिम्मेदारी को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
कोर्ट ने इस बात का संज्ञान लिया कि आरोपी के साथ 12 साल तक संबंध बने रहे। अदालत ने कहा कि इसके अलावा, आरोपी भी पीड़िता के घर लगातार आता-जाता रहा और वह उसके आधिकारिक आवास पर आती रही, जो यौन संबंधों के लिए व्यक्त और निहित सहमति की ओर इशारा कर रहा था।
कोर्ट ने कहा कि 12 साल में महिला ने कभी पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई, जबकि रिश्ते से दो बच्चे पैदा हुए। अदालत ने आगे कहा कि पीड़िता की पिछले 12 साल से उसकी मर्जी के खिलाफ यौन संबंध, बार-बार दिल्ली की घनी आबादी वाले स्थान पर और आरोपी के बच्चों को जन्म देने और 12 साल तक उसकी निष्क्रियता की कहानी स्पष्ट नहीं है।
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