दिल्ली महिला आयोग (DCW) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) की मुसीबतें बढ़ने वाली हैं। दिल्ली महिला आयोग में नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं के मामले में गुरुवार को राउज एवेन्यू कोर्ट ने आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के साथ सदस्य प्रोमिला गुप्ता, सारिका चौधरी और फरहीन मलिक के खिलाफ आरोप तय कर दिए। विशेष न्यायाधीश जस्टिस दिग विनय सिंह के कोर्ट ने कहा कि चारों पर आरोप तय करने के लिए इस मामले में प्रथम दृष्टया पर्याप्त सामग्री है।
क्या है पूरा मामला?
लाइव लॉ के मुताबिक, दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को दिल्ली महिला आयोग (DCW) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल और तीन अन्य के खिलाफ एक मामले में भ्रष्टाचार के आरोप तय किए हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) सहित विभिन्न परिचितों को DCW में 6 अगस्त, 2015 से 1 अगस्त, 2016 के बीच अवैध रूप से नियुक्त करके अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और आर्थिक लाभ प्राप्त किया।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अदालत ने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल और अन्य के खिलाफ महिला अधिकार संस्था में आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं को विभिन्न पदों पर नियुक्त करने के लिए अपने आधिकारिक पदों का ‘‘प्रथम दृष्टया’’ दुरुपयोग करने के आरोप में भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के आरोप तय करने का आदेश दिया।
चारों पर चलेगा मुकदमा
अदालत ने आदेश दिया कि DCW की पूर्व सदस्य प्रोमिला गुप्ता, सारिका चौधरी और फरहीन मलिक पर भी मुकदमा चलाया जाए। जज ने कहा कि DCW द्वारा विभिन्न तिथियों पर आयोजित बैठकों के डिटेल्स, जिसमें सभी चार अभियुक्त हस्ताक्षरकर्ता थे, के अवलोकन ‘प्रथम दृष्टया इस संदेह की ओर इशारा करते हैं कि जिन नियुक्तियों पर सवाल उठाए गए हैं वे आरोपियों ने एक दूसरे के साथ मिलीभगत करके की।
जज ने कहा, ‘परिस्थितियां प्रथम दृष्टया आरोपी व्यक्तियों के बीच इस तरह की साजिश का संकेत देती हैं।’ अदालत ने आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120-B (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 13 (1) (D) (एक लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार) के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया। DCW की पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी विधायक बरखा शुक्ला सिंह की शिकायत पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने मामला दर्ज किया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, अभियुक्तों ने मिलीभगत कर साजिशन अपने आधिकारिक पदों का दुरुपयोग किया और AAP कार्यकर्ताओं को आर्थिक लाभ दिलाया, जिन्हें उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना DCW के विभिन्न पदों पर नियुक्त किया गया था।
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