एक दुर्लभ आदेश में दिल्ली की एक अदालत (Delhi Court) ने पिता को दो नाबालिग बच्चों की अंतरिम कस्टडी प्रदान की है। कोर्ट ने अपना आदेश यह टिप्पणी करते हुए दिया कि मां को अपना निजी जीवन चुनने का अधिकार है, लेकिन अपने बच्चों के वेलफेयर की कीमत (welfare of her children) पर नहीं। बच्चों की उम्र क्रमश: 4.5 साल और 18 महीने है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, मां अपने दोनों बच्चों के साथ अक्टूबर 2020 में ससुराल छोड़कर चली गई थी। इसके बाद, पिता ने कस्टडी की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया, जिसमें दावा किया गया कि उसकी पत्नी के अपने प्रेमी के साथ कथित अवैध संबंध बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। अदालत ने रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों को नोट किया, जिससे पता चलता है कि महिला अपने प्रेमी के साथ गोवा में 3 दिनों तक रही और दोनों बच्चों को एक नौकरानी के पास छोड़ गई थी।
आरोप और बचाव के दिया गया तर्क
पिता ने अपने वकील प्रभजीत जौहर (Prabhjit Jauhar) के माध्यम से दावा किया था कि बच्चे को एक नौकरानी के साथ अकेला छोड़कर मां अपने प्रेमी के साथ कथित व्यभिचारी जीवन शैली (adulterous lifestyle) का आनंद लेने के लिए चार दिनों के लिए गोवा चली गई थी।
वहीं, मां ने अपने वकील कामिनी जायसवाल के माध्यम से तर्क दिया कि याचिकाकर्ता अपने आवेदन के माध्यम से एक प्रेमी होने के झूठे आरोपों के आधार पर कस्टडी के मुद्दे को फिर से हवा देना का प्रयास कर रहा था। उसने तर्क दिया था कि उसने उस व्यक्ति से मदद ली थी क्योंकि उसे जरूरत थी और अपने पति द्वारा उसे दी गई कथित यातना से बचने के लिए अपना वैवाहिक घर छोड़ना चाहती थी।
दिल्ली कोर्ट का आदेश
अपने आदेश में प्रिंसिपल जज अंजू बजाज चंदना (Principal Judge Anju Bajaj Chandna) ने कहा कि यह चुनाव प्रतिवादी/मां ने स्वयं किया है और मां का यह अनैतिक आचरण बच्चों के संतुलित और स्वस्थ विकास में बाधा उत्पन्न करेगा। बच्चों को माता-पिता से उनके उचित ध्यान और स्नेह की आवश्यकता होती है, जो प्रतिवादी/माता नहीं दे रही है। अदालत ने आगे कहा कि हालांकि कस्टडी के मुद्दों को तय करने में मां का चरित्र प्रासंगिक नहीं हो सकता है, माता-पिता की प्राथमिकताएं हमेशा बच्चों के उचित विकास को प्रभावित करती हैं।
जज ने आगे कहा कि प्रतिवादी मां अपने बच्चों के पूर्ण हित में खुद का संचालन नहीं कर रही हैं। वह बच्चों की जगह स्वयं के अपने आनंद को प्राथमिकता दे रही हैं, जो उनके पालन-पोषण पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। यह देखा गया कि पालन-पोषण बच्चों में अच्छे मूल्यों को विकसित करने और उनका समर्थन करने और उन्हें सफलता के मार्ग पर ले जाने के बारे में था। अदालत ने आगे कहा कि माता-पिता को बच्चे की शारीरिक और भावनात्मक स्थिति और उसकी क्षमताओं को समझना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि बच्चे की संवेदनाओं को स्वीकार करना और संबोधित करना जारी रखना चाहिए।
अदालत ने कहा कि देखभाल करने वाले माता-पिता वाले बच्चों का शैक्षिक परिणाम हमेशा बेहतर होता है। अध्ययनों में पाया गया है कि माता-पिता की सक्रिय और पोषण शैली किशोरों के बीच बेहतर मौखिक कौशल, बौद्धिक कार्यप्रणाली और शैक्षणिक उपलब्धियों से जुड़ी है। बच्चे अपने माता-पिता के संबंधपरक उथल-पुथल से अछूते नहीं रहते हैं। वर्तमान मामले में, दोनों बच्चे अपने शुरुआती वर्षों में हैं और उन्हें अपने माता-पिता से अविभाजित समय, ध्यान, देखभाल और प्यार की आवश्यकता है।
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ARTICLE IN ENGLISH:
Delhi Court | Mother Prefers Her Own Enjoyment; Custody Of Both Minor Children Given To Father
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