दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने हाल ही में फैमिली कोर्ट (Family Court) के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें उस व्यक्ति का होटल बुकिंग और कॉल रिकॉर्ड डिटेल्स दर्ज करने का निर्देश दिया गया था, जिसके खिलाफ उसकी पत्नी ने एडल्ट्री (Adultery) और क्रूरता के आधार पर तलाक की याचिका दायर की है। हाई कोर्ट ने हालांकि कहा कि होटल मैनेजमेंट और दूरसंचार कंपनियां फैमिली कोर्ट के आदेश के अनुसार रिकॉर्ड का संरक्षण सुनिश्चित करेंगी।
क्या है पूरा मामला?
हाई कोर्ट उस व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसका प्रतिनिधित्व वकील प्रीति सिंह ने किया था, जिसमें फैमिली कोर्ट के 14 दिसंबर के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें अप्रैल के बीच की अवधि के लिए होटल में एक विशेष कमरे की बुकिंग, पेमेंट डिटेल्स और आईडी प्रूफ से संबंधित दस्तावेजों को संरक्षित करने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद होटल ने पिछले साल 29 और 1 मई को सीलबंद लिफाफे में डिटेल्स कोर्ट को भेजें।
फैमिली कोर्ट पत्नी की तलाक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसने आरोप लगाया था कि उसके पति का दूसरी महिला के साथ नाजायज संबंध है और उस संबंध से उसकी एक बेटी भी है। पत्नी ने फैमिली कोर्ट के सामने यह भी आरोप लगाया कि पुरुष और दूसरी महिला एक होटल में रुके थे। उसने तर्क दिया कि उसके विवाद को स्थापित करने के लिए होटल और कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड आवश्यक थे।
पति का तर्क
हाई कोर्ट के समक्ष बहस करते हुए पति के वकील प्रीति सिंह ने कहा कि फैमिली कोर्ट द्वारा निर्देशित होटल बुकिंग जानकारी और कॉल डिटेल रिकॉर्ड को संरक्षित करना और तलब करना पति के निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
वकील ने आगे कहा कि इसके अलावा, इस तरह के निर्देशों से न केवल दूसरी महिला की निजता के संबंध में गंभीर परिणाम होंगे, बल्कि नाबालिग लड़की के पितृत्व के संबंध में भौहें उठेंगी। उसने कहा कि निजी मामलों में साक्ष्य एकत्र करना और पूछताछ करना अदालत का काम नहीं था। अगर ऐसा तलब करने का आदेश नियमित हो जाता है, तो यह समाज में तबाही मचा देगा।
हाई कोर्ट
जस्टिस रेखा पल्ली ने अपने आदेश में कहा कि अगली तारीख तक फैमिली कोर्ट को भेजे जाने वाले रिकॉर्ड की सीमा तक विवादित आदेश में निर्देश रुके रहेंगे। उपरोक्त होटल और संबंधित मोबाइल एजेंसियां, हालांकि, यह सुनिश्चित करेंगी कि रिकॉर्ड किए गए आदेश के संदर्भ में हैं सुरक्षित रखा जाता है ताकि उचित आदेश (यदि आवश्यक समझा जाए) बाद में पारित किया जा सके। हाई कोर्ट ने व्यक्ति की याचिका पर अलग रह रही पत्नी को नोटिस जारी किया है और चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 28 मार्च को होगी।
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