दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने हाल ही में केंद्रीय सूचना आयुक्त (CIC) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार को एक सूचना का अधिकार (RTI) आवेदक के अलग रह रहे पति के पासपोर्ट से संबंधित डिटेल्स का खुलासा करने का निर्देश दिया गया था।
क्या है पूरा मामला?
अदालत ने मई 2020 के CIC के आदेश को चुनौती देने वाली विदेश मंत्रालय की याचिका पर अपना फैसला सुनाया। RTI आवेदक ने अपने अलग रह रहे पति के पासपोर्ट, मैरिज सर्टिफिकेट, एड्रेस, आईडी प्रूफ सहित अन्य संबंधित दस्तावेजों के बारे में जानकारी मांगी थी। CIC ने मई 2020 में विदेश मंत्रालय को आवेदक को जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया था।
केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (CPIO) ने पहले 2018 में आवेदक से कहा था कि चूंकि मांगे गए प्रकटीकरण में तीसरे पक्ष की जानकारी शामिल होगी, इसलिए यह अधिनियम की धारा 8(1)(J) के आलोक में प्रदान करने के लिए उत्तरदायी नहीं है।
हाई कोर्ट
जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा कि CIC के आदेश का न तो समर्थन किया सकता है और न ही बरकरार रखा जा सकता है। अदालत ने अपने हालिया आदेश में कहा, “इस अदालत की सुविचारित राय है कि याचिकाकर्ता को आवश्यक खुलासे करने का निर्देश देने वाले मुख्य सूचना आयुक्त के आदेश का न तो समर्थन किया जा सकता है और न ही उसे बरकरार रखा जा सकता है।” उसने कहा, “15 मई 2020 के आदेश को रद्द किया जाता है।’’
पीठ ने भारत संघ बनाम आर. जयचंद्रन पर भरोसा किया, जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि “यदि किसी आवेदक को किसी तीसरे पक्ष का पासपोर्ट नंबर दिया जाता है, तो इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि आवेदक को एक रिपोर्ट दर्ज करनी थी। पुलिस को पता चलता है कि एक विशेष संख्या वाला पासपोर्ट खो गया है, तो पासपोर्ट प्राधिकरण बिना किसी जानकारी के और तीसरे पक्ष के पूर्वाग्रह के कारण स्वत: ही इसे रद्द कर देगा।”
जस्टिस वर्मा ने आदेश को रद्द करते हुए कहा कि इस न्यायालय की सुविचारित राय है कि याचिकाकर्ता को आवश्यक खुलासे करने का निर्देश देने वाले मुख्य सूचना आयुक्त के आदेश को न तो स्वीकार किया जा सकता है और न ही बरकरार रखा जा सकता है।
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