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Home हिंदी कानून क्या कहता है

दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप का झूठा केस दर्ज कराने वाली महिला को दिया ब्लाइंड स्कूल में दो महीने तक समाज सेवा करने का आदेश

Team VFMI by Team VFMI
August 8, 2022
in कानून क्या कहता है, हिंदी
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voiceformenindia.com

Family Court Should Have Litigant Friendly Approach In Matrimonial Disputes

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रेप का फर्जी केस दर्ज कराकर हाई कोर्ट को ‘गुमराह’ करना एक महिला को महंगा पड़ गया। दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने 18 जुलाई, 2022 को अपने एक आदेश में शिकायतकर्ता महिला की बलात्कार की FIR को खारिज करते हुए उसे नेत्रहीनों के स्कूल ऑल इंडिया कॉन्फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड में दो महीने के लिए समाज सेवा करने का निर्देश दिया। हाई कोर्ट ने महिला द्वारा दर्ज झूठे रेप के FIR को रद्द कर दिया, क्योंकि ‘उसे गुमराह किया गया था और गलत सलाह दी गई थी’। समझौता विलेख पर हस्ताक्षर करने के बाद पक्षों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

क्या है पूरा मामला?

महिला की शिकायत के अनुसार, अप्रैल 2022 में दर्ज FIR में कहा गया है कि कथित आरोपी ने उसे कोल्ड ड्रिंक पिलाई और पीने के बाद वह बेहोश हो गई और फिर उसके साथ रेप किया गया। हालांकि, एक समझौता बयान के अनुसार, महिला ने स्वीकार किया कि आरोपी व्यक्ति ने कभी भी उसकी इच्छा के विरुद्ध उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित नहीं किए थे। पता चला कि महिला का आरोपी के साथ पैसों को लेकर विवाद चल रहा था, जिसके कारण वह परेशान थी और कुछ लोगों की गलत सलाह मानकर वह गुमराह हो गई और उसने एफआईआर दर्ज करा दी थी।

समझौता विलेख के अनुसार, पार्टियों (दोनों पक्ष) ने अब अपनी सभी शिकायतों और विवादों को बिना किसी बल, अनुचित प्रभाव या किसी भी दबाव के बिना अपनी मर्जी और पसंद से सुलझा लिया है और इसमें पार्टियों की कोई मिलीभगत नहीं है। आरोपी ने दोनों पक्षों के बीच समझौता होने के बाद FIR रद्द करने की मांग करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

दिल्ली हाई कोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप का फर्जी मामला दर्ज कराने वाली एक महिला को एक नेत्रहीन स्कूल में समाज सेवा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने दुष्कर्म की शिकायत में आरोपों को पार्टियों के एक समझौता विलेख (समझौता पत्र) के विपरीत पाया, जिसके बाद अदालत ने इसे बहुत अनुचित और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करार देते हुए महिला को एक अनोखी सजा सुनाई और उसे एक नेत्रहीन (ब्लाइंड) स्कूल में समाज सेवा करने का आदेश दिया।

अदालत ने कहा कि FIR और समझौता विलेख में आरोप पूरी तरह से विपरीत हैं। उनका मानना है कि महिला का आचरण बहुत अनुचित है और यह कानून की प्रक्रिया का कुल मिलाकर सरासर दुरुपयोग है। जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि प्रतिवादी संख्या 2 (महिला) का कहना है कि वह मानसिक अवसाद से गुजर रही है, जिसके परिणामस्वरूप गुमराह और गलत सलाह के तहत उसने FIR दर्ज की है। जज ने कहा कि मेरा विचार है कि प्रतिवादी नंबर 2 ने अपने पूरे आचरण में बहुत अनुचित किया है।

हालांकि, अदालत ने मानवीय तौर पर महिला को कोई सख्त सजा नहीं सुनाई। जज ने कहा कि हालांकि, वे इस तथ्य को नहीं भूल सकते कि प्रतिवादी संख्या 2 (महिला) अपने परिवार के साथ रह रही है और उसके 4 बच्चे हैं (एक बेटी 12 वर्ष की आयु की है और लगभग 3 वर्ष की आयु के तीन बच्चे हैं)।

इसके साथ ही कोर्ट द्वारा महिला के आरोपों पर दर्ज FIR को रद्द कर दिया गया और महिला को ऑल इंडिया कन्फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड्स (ब्लाइंड स्कूल), रोहिणी में दो महीने तक हफ्ते के 5 दिन, रोज 3 घंटे के लिए समाज सेवा करने का आदेश दिया।

मामले में व्यक्ति को भी अधिकारी के परामर्श से शहर के रोहिणी अंचल में 50 पौधे लगाने का निर्देश दिया गया है। अदालत ने कहा कि प्रत्येक पेड़ का नर्सरी जीवन 3 साल का होगा और याचिकाकर्ता इन पेड़ों की 5 साल तक देखभाल करेंगे।

राज्य के विद्वान एससी को इस संबंध में प्रत्येक कदम के संबंध में सूचित किया जाएगा। इसके अलावा फोटो के साथ 6 मासिक स्थिति रिपोर्ट दाखिल की जाएगी। उक्त वृक्षारोपण आज (आदेश वाले दिन) से 6 सप्ताह की अवधि के भीतर पूर्ण कर लिया जाएगा।

क्या भारतीय न्यायपालिका पुरुषों के लिए पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है? इस मामले पर अपनी टिप्पणी नीचे दें:

READ ORDER | Delhi High Court Quashes False Rape FIR Directing Complainant Woman To Do Social Service In Blind School For Two Months

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Tags: delhi high courtफ़र्ज़ी बलात्कार मामलालिंग पक्षपाती कानून
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