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Home हिंदी कानून क्या कहता है

दिल्ली हाईकोर्ट ने रद्द की रेप की फर्जी FIR, ‘गुमराह’ शिकायतकर्ता महिला को दिया दो महीने तक ब्लाइंड स्कूल में सेवा करने का आदेश

Team VFMI by Team VFMI
August 3, 2022
in कानून क्या कहता है, हिंदी
0
voiceformenindia.com

Establish one-stop centres for registration of crimes against women in every district: Delhi High Court to government (Representation Image)

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दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने हाल ही में रेप का झूठा केस दर्ज कराने वाली एक महिला को अनोखी सजा सुनाई। बलात्कार का फर्जी केस दर्ज कराकर अदालत को ‘गुमराह’ करना महिला को भारी पड़ गया। हाई कोर्ट ने गुमराह करने और गलत सलाह के तहत महिला द्वारा दर्ज की गई बलात्कार की एफआईआर को इस शर्त पर खारिज कर दिया है कि वह दो महीने के लिए एक नेत्रहीन (ब्लाइंड) स्कूल में समाज सेवा करेगी। कोर्ट ने शिकायतकर्ता महिला की बलात्कार की FIR को खारिज करते हुए उसे नेत्रहीनों की संस्था ऑल इंडिया कॉन्फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड में दो महीने के लिए समाज सेवा करने का निर्देश दिया।

क्या है पूरा मामला?

लाइव लॉ के मुताबिक, FIR के आरोपी ने पक्षों के बीच समझौता होने के बाद केस रद्द करने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। FIR में महिला ने दावा किया था कि याचिकाकर्ता ने उसे कोल्ड ड्रिंक पिलाई थी, जिसके बाद वह बेहोश हो गई और फिर याचिकाकर्ता ने उसके साथ बलात्कार किया। हालांकि, समझौता पत्र में यह स्वीकार किया गया था कि दोनों पार्टियों के बीच “पैसों का विवाद” था और महिला परेशान थी। कुछ गलत सलाह और गुमराह होने की वजह से महिला ने रेप की एफआईआर दर्ज करा दी।

हाई कोर्ट

जस्टिस जसमीत सिंह का विचार था कि महिला का आचरण बहुत ही अनुचित था। कोर्ट ने महिला को दो महीने तक हफ्ते के 5 दिन और रोजाना 3 घंटे के लिए ब्लाइंड स्कूल में समाज सेवा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने रेप का फर्जी FIR रद्द करते हुए कहा कि महिला का परिवार और बच्चे भी हैं। इसलिए उसे समाज सेवा की सजा दी जाती है।

कोर्ट में दिए गए समझौता पत्र के मुताबिक महिला ने यह कबूल किया था कि आरोपी ने कभी भी उसकी इच्छा के विरुद्ध शारीरिक संबंध नहीं बनाए थे। महिला का आरोपी के साथ पैसे का विवाद चल रहा था, जिसके कारण वह परेशान थी और कुछ लोगों की गलत सलाह मानकर उसने FIR दर्ज करा दी थी।

वहीं, आरोपी को भी 50 पौधे लगाने का निर्देश दिया गया। याचिकाकर्ता जांच अधिकारी के परामर्श से 50 पेड़ लगाने का भी वचन देना होगा, जो एमसीडी, रोहिणी क्षेत्र के बागवानी विभाग से संपर्क करेगा और उस क्षेत्र को इंगित करें, जहां पेड़ लगाए जाने हैं।

जस्टिस जसमीत सिंह की सिंगल जज बेंच ने कहा कि FIR में लिखे आरोप और समझौता पत्र में लिखी बातें पूरी तरह अलग हैं। कोर्ट ने कहा कि महिला ने कानून अधिकारों का दुरुपयोग किया है। उसने कहा था कि वह अवसाद से गुजर रही है, जिसके चलते उसने बलात्कार की झूठी FIR दर्ज की है।

कोर्ट ने माना कि जिसके खिलाफ शिकायत की गई थी, वह भी कहीं न कहीं दोषी है ऐसे में आरोपी को शहर के रोहिणी अंचल में 6 हफ्तों के अंदर 50 पेड़ लगाने का भी निर्देश दिया जाता है। उसे इन पौधों की 5 साल तक देखभाल भी करनी होगी। साथ 6 महीने बाद इसकी रिपोर्ट भी देनी होगी।

जस्टिस जसमीत सिंह ने आदेश में कहा, “प्रतिवादी संख्या 2 (महिला) का कहना है कि वह डिप्रेशन से गुजर रही है, जिसके परिणामस्वरूप गुमराह और गलत सलाह के तहत उसने FIR दर्ज की है।” हालांकि कोर्ट ने मानवीय तौर पर महिला को कोई सख्त सजा नहीं सुनाई। जज ने कहा कि हालांकि, वे इस तथ्य को नहीं भूल सकते कि महिला अपने परिवार के साथ रह रही है और उसके 4 बच्चे हैं (एक बेटी 12 वर्ष की उम्र की है और लगभग 3 साल की उम्र के तीन बच्चे हैं।)

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Tags: delhi high courtफ़र्ज़ी बलात्कार मामलालिंग पक्षपाती कानून
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VFMI ने पुरुषों के अधिकार और लिंग पक्षपाती कानूनों के बारे में लेख प्रकाशित किए.

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