बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने हाल ही में एक व्यक्ति के खिलाफ रेप की FIR और चार्जशीट को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा विश्वास करना मुश्किल है कि घनी आबादी वाले रिहायशी इलाके में दो बच्चों की विधवा मां के साथ कई बार जबरदस्ती बलात्कार किया गया हो। लाइव लॉ वेबसाइट के मुताबिक, इसके साथ ही हाईकोर्ट ने महिला से बलात्कार के आरोपी के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह स्वीकार करना मुश्किल है कि दो बच्चों की विधवा मां के साथ घनी आबादी के इलाके में कई बार बलात्कार किया जा सकता है।
क्या है पूरा मामला?
जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस अभय वाघवासे की खंडपीठ धारा 376, 406, 427, 323, 506 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए आरोपी के खिलाफ दायर चार्जशीट और FIR को रद्द करने की मांग करने वाले व्यक्ति द्वारा दायर एक आपराधिक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। इस मामले के आरोपी ने महिला द्वारा कराई गई शिकायत और चार्जशीट को रद्द करने के लिए हाई कोर्ट की शरण ली थी। महिला के पति की 18 मार्च 2017 को मौत हो गई थी और इसका आरोप है कि उस साल 13 जुलाई को जब वह अपने बच्चों के साथ थी तब आरोपी ने पानी पीने के बहाने उसके घर में आया था और आरोपी ने चाकू लहराया और जान से मारने की धमकी दी।
आरोप था कि उसने महिला के साथ कई बार दुष्कर्म किया। पीड़िता ने अपनी शिकायत में यह भी कहा है कि आरोपी ने उससे पैसे की मांग की थी। महिला ने उससे अपने बच्चों की जान को भी खतरा बताया। आरोप है कि प्रार्थी बार-बार उसे डरा धमका कर उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाता था। FIR में कहा गया है कि पीड़िता के साथ कई बार बलात्कार किया गया और उसे पीटा भी गया। दूसरी तरफ अभियुक्त के वकील ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि FIR देर से, झूठी और निराधार आरोपों से भरी हुई है। उन्होंने कहा कि महिला दो बच्चों की विधवा है और घनी आबादी वाले इलाके में रहती है। इसलिए उसके आरोप निराधार है।
हाई कोर्ट का आदेश
हाई कोर्ट ने कहा कि आवेदक और आरोपी के बीच लंबे समय से जान-पहचान थी। यह स्वीकार करना मुश्किल है कि घनी आबादी वाले रिहायशी इलाके में रहने वाली दो बच्चों वाली विधवा के साथ एक बार नहीं बल्कि कई मौकों पर जबरन बलात्कार किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि कथित मामले शुरू होने के छह महीने बाद पहली बार रिपोर्ट किए गए थे। महिला के पूरक बयान से कोर्ट ने कहा कि आवेदक उसका पड़ोसी है जो नियमित रूप से उसके घर आता था और यहां तक कि कई बार उसकी मदद भी करता था।
अदालत ने कहा, “उसके पूरक बयान से पता चलता है कि उसने ऑपरेशन के लिए अपना ATM कार्ड भी सौंपा था। इसलिए, रिकॉर्ड पर ऐसी सामग्री के साथ, यह मानने की गुंजाइश है कि आरोपी आवेदक और शिकायकर्ता के बीच उसके पति के जीवनकाल से संबंध रहे हैं।” अदालत ने यह भी कहा कि पड़ोसी कथित घटनाओं के बारे में पूरी तरह से अनभिज्ञ प्रतीत होते हैं।
अदालत ने कहा कि आभूषणों को जबरन लेने का आरोप भी झूठा है और बाद में सोचा गया है, क्योंकि जौहरी ने अपने बयान में कहा है कि पैसे जुटाने के लिए महिला दो बार आवेदक के साथ गहने गिरवी रखने के लिए गई थी।
हाई कोर्ट ने आखिरी में कहा कि जौहरी ने आगे कहा कि शिकायतकर्ता ने खुद गहने सौंपे। पीठ ने आगे कहा कि यह सुविचारित राय है कि FIR दर्ज करने में अत्यधिक देरी के अलावा, आवेदक के खिलाफ लगाए गए बलात्कार के आरोप विश्वास को प्रेरित नहीं करते हैं।
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