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Home हिंदी कानून क्या कहता है

POCSO एक्ट का न करें दुरुपयोग, पड़ोसी पर झूठे आरोप लगाने वाली महिला को मुंबई कोर्ट ने फटकार लगाई

Team VFMI by Team VFMI
March 13, 2022
in कानून क्या कहता है, हिंदी
0
voiceformenindia.com

FALSE POCSO CASE (Representation Image Only)

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मुंबई की एक अदालत ने एक महिला को उसके पड़ोसी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट का दुरुपयोग करने के लिए फटकार लगाई। 23 दिन जेल में बिताने के बाद झूठे आरोपित व्यक्ति को छुट्टी दे दी गई। हालांकि, इन झूठे आरोप लगाने वाली महिला पर एक बार फिर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

क्या है पूरा मामला?

1 जून 2018 को एक महिला ने आरोप लगाया था कि रात 9 बजे के आसपास उसकी महिला पड़ोसी और प्रोफेसर के रिश्तेदार उसकी बेटी को गाली दे रहे थे और उसके साथ मारपीट कर रहे थे। महिला का आरोप था कि जब उसने हस्तक्षेप किया, तो उन्होंने उसे थप्पड़ मार दिया। उसने दावा किया कि बाद में जब उसका पति, बेटी और वह घर लौट रहे थे तो 48 वर्षीय प्रोफेसर ने उनकी बेटी के साथ मारपीट शुरू कर दी और उसकी शर्ट तक फाड़ दी।

इस मामले में एक पुलिस शिकायत दर्ज की गई और अगले दिन प्रोफेसर को गिरफ्तार कर लिया गया। प्रोफेसर पर भारतीय दंड संहिता (IPC) और पॉक्सो अधिनियम (POCSO Act) की कई धाराओं के तहत आरोप लगाया गया। बाद में, उस व्यक्ति को 25 जून, 2018 को जमानत मिल गई।

पॉक्सो कोर्ट, मुंबई

2018 में 23 दिन जेल में बिताने वाले प्रोफेसर को पॉक्सो कोर्ट ने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज के आधार पर बरी कर दिया। अदालत ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कहा कि शिकायतकर्ता का यह कहना कि उसकी बेटी का उस व्यक्ति द्वारा यौन उत्पीड़न किया गया था पूरी तरह से गलत है। अदालत ने कहा कि परिवादी ने प्रार्थी पर गंभीर आरोप लगाए हैं, लेकिन यह पहले के विवाद की पृष्ठभूमि है। किसी भी गवाह ने यह नहीं कहा है कि कथित घटना हुई है।

पांच पन्नों के अपने आदेश में विशेष जज भारती काले ने कहा कि पुलिस को निर्दोष लोगों के झूठे फंसाने से बचने के लिए गहन जांच करने की जरूरत है ताकि उन्हें मुकदमे और जांच के दौर से न गुजरना पड़े, क्योंकि उनका जीवन शारीरिक, आर्थिक और मानसिक रूप से प्रभावित होता है।

अदालत ने कहा कि आजकल कई सार्वजनिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे उपलब्ध हैं। सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से पूर्व सत्यापन हो सकता है, यदि उपलब्ध हो तो कुछ हद तक झूठे आरोपों को रोक सकता है।

अदालत ने आगे कहा कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम बच्चों को यौन हमले से बचाने के लिए बनाया गया था और इसके दुरुपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती। जज ने कहा कि इसलिए जांच एजेंसी और अदालतों को सतर्क रहना होगा।

अदालत ने कहा कि मां ने उस व्यक्ति को झूठा फंसाने के लिए कानून के प्रावधानों का गलत इस्तेमाल किया, जिसकी वजह से उसे नुकसान उठाना पड़ा। आरोपों की इस तरह की प्रकृति ने आवेदक के जीवन के अधिकार को प्रभावित किया। उसे बिना किसी गलती के शारीरिक और मानसिक आघात और वित्तीय नुकसान से गुजरना पड़ा। कोर्ट ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज के अभाव में उसे मुकदमे से गुजरना पड़ता।

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ARTICLE IN ENGLISH:

Don’t Misuse POCSO Act | Mumbai Court To Woman Who Filed False Charges On Neighbour & Sent Him To Jail

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