दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने हाल ही में दिल्ली सरकार को हर जिले में ‘वन-स्टॉप सेंटर (One-Stop Centres)’ स्थापित करने का निर्देश दिया, जहां महिलाओं और बच्चों के खिलाफ सभी अपराध दर्ज किए जा सकें। हाई कोर्ट ने AAP सरकार (Delhi Government) से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के 2018 के एक फैसले के अनुपालन में हर जिले में महिलाओं और बच्चों के लिए ‘वन-स्टॉप सेंटर’ स्थापित करने को कहा।
क्या है पूरा मामला?
हाई कोर्ट का यह निर्देश तब आया, जब चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ हैदराबाद के एक रेप मामले में पीड़िता की पहचान और आरोपी व्यक्तियों के नाम का खुलासा करने के लिए मीडिया घरानों के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
अदालत ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह भारतीय दंड संहिता (IPC) की प्रासंगिक धारा (धाराओं) के तहत कार्य करे और सामाजिक कल्याण संस्थानों या संगठनों की पहचान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देशित मानदंड तय करे। कोर्ट ने 11 दिसंबर, 2018 को पारित निपुण सक्सेना बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख किया।
पीठ ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार ने आज तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया है, जिसमें अदालत ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध किया था कि वे फैसले के एक साल के भीतर हर जिले में कम से कम एक वन-स्टॉप सेंटर स्थापित करें।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि सेंटरों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित कर्मचारियों को नियुक्त करना चाहिए, जहां कॉल पर काउंसलर और मनोचिकित्सकों के साथ पर्याप्त मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हों और पीड़ितों के बयान दर्ज करने और ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए अदालत कक्ष में के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा हो। इसके अलावा एक केंद्रीय पुलिस स्टेशन हो, जहां महिलाओं और बच्चों से संबंधित सभी अपराध दर्ज किए जाएं।
हाई कोर्ट ने कहा कि 11 दिसंबर, 2018 को पारित निर्णय की तारीख से एक साल के भीतर ऐसे सेंटर स्थापित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समय सीमा का पालन नहीं कर राज्य सरकारें अदालत की अवमानना कर रही हैं। अदालत ने यह भी कहा कि मीडिया घरानों और रिपोर्ट किए गए व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही शुरू करना या जांच अधिकारियों को अपराध का संज्ञान लेने का निर्देश देना उचित नहीं लगता। हाई कोर्ट ने कहा कि इन टिप्पणियों के साथ यदि कोई लंबित आवेदन होने पर रिट याचिका का निस्तारण किया जाता है।
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