अभी तक आपने फर्जी वकीलों के बारे में बहुत सुना होगा, लेकिन अब फर्जी जज यानी मजिस्ट्रेट का मामला सामने आया है। तमिलनाडु में एक शख्स ने बिना लॉ डिग्री के ही 21 साल तक जुडिशल मजिस्ट्रेट के तौर पर नौकरी की। इस मामले के सामने आने के बाद तमिलनाडु में न्यायिक व्यवस्था से जुड़े लोग बेहद हैरान हैं। वकील के तौर पर प्रैक्टिस कर रहे मदुरै के पूर्व ‘मजिस्ट्रेट’ पी. नटराजन ने बिना किसी कानून की डिग्री के ही जज के तौर पर काम किया और अब पेंशन भी ले रहे हैं। यह मामला नवंबर 2017 में सामने आया था।
क्या है पूरा मामला?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडु और पुडुचेरी बार काउंसिल के अधिकारी काफी दिनों तक इस सदमे से उबर नहीं पाए हैं कि एक व्यक्ति बिना किसी मान्यता प्राप्त कानून की डिग्री के 21 साल से अधिक समय तक तमिलनाडु न्यायिक सेवा में मजिस्ट्रेट के रूप में कैसे काम करने में कामयाब रहा। मामले के सामने आने के बाद तमिलनाडु और पुडुचेरी के बार काउंसिल ने नटराजन को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न वकील के तौर पर उनके रजिस्ट्रेशन को रद्द कर दिया जाए।
आरोपी की सफाई
उपरोक्त आरोपों पर नटराजन ने जवाब देते हुए कहा कि ऐसा करना गलत और अन्यायपूर्ण होगा। खासतौर पर यह देखते हुए कि मैंने 20 साल का समय न्यायिक सेवा में दिया है। नटराजन ने अपने जवाब में कहा कि उन्होंने कर्नाटक के एक प्राइवेट कॉलेज से लॉ की डिग्री ली थी। उन्होंने बार काउंसिल को बताया, ‘मुझे कॉन्वोकेशन के दौरान यह नहीं बताया गया कि यह डिग्री सिर्फ ‘अकादमिक उद्देश्यों’ के लिए ही इस्तेमाल की जा सकती है। इसे रोजगार के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।’
सिर्फ लॉ की डिग्री ली थी
नटराजन ने 1975 से 1978 के दौरान शारदा लॉ कॉलेज से बैचलर ऑफ जनरल लॉ की डिग्री ली थी। इसके बाद मैसूर यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त इस कॉलेज में दो साल तक तो वह दूरस्थ शिक्षा ही लेते रहे और आखिरी साल यानी थर्ड इयर में ही उन्होंने क्लासेज अटेंड कीं। 15 फरवरी, 1982 को नटराजन को जुडिशल मजिस्ट्रेट के तौर पर चुना गया था। 21 साल तक नौकरी करने के बाद 30 जून, 2003 को अपने पद से रिटायर हुए।
यही नहीं इसके एक महीने के भीतर ही नटराजन ने बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु और पुदुचेरी में वकील के तौर पर अपना रजिस्ट्रेशन कर लिया। यहां भी उन्होंने उस नियम का उल्लंघन किया, जिसके तहत वह अपनी डिग्री के तहत वह न्यायिक व्यवस्था में रोजगार के हकदार नहीं थे। बार काउंसिल के अधिकारियों ने 4 जनवरी, 2016 को नटराजन को कारण बताओ नोटिस किया था।
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