मुंबई की एक स्पेशल POCSO अदालत ने एक 70 वर्षीय बुजुर्ग व्यक्ति को उसके 9 वर्षीय पड़ोसी बच्ची के साथ कथित यौन उत्पीड़न करने के मामले में बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि बुजुर्ग शख्स ने लड़की को उसके घर छोड़ने के लिए केवल दूर से ही छुआ था, न कि उसे गलत तरीके से छूने के इरादे से टच किया था। यह मामला अगस्त 2021 का है।
क्या है पूरा मामला?
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, 18 नवंबर 2018 को शाम करीब साढ़े 5 बजे लड़की अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए बाहर गई थी। आधे घंटे बाद, उसके दो दोस्तों ने उसकी मां को सूचित किया कि पड़ोसी बाबा (Grandfather) ने उसकी बेटी के साथ कुछ बुरा किया है। तब मां ने जाकर अपनी बेटी को घर ले जाकर उससे पूछताछ की। लड़की ने दावा किया कि लुका-छिपी खेलते हुए वह आरोपी के घर छिपने गई थी। उसने कहा कि आरोपी कुर्सी पर बैठकर किताब पढ़ रहा था। 9 साल की बच्ची ने आरोप लगाया कि आरोपी ने फिर उसका यौन शोषण किया।
आरोपी के मुताबिक, जब वह आध्यात्मिक किताब पढ़ रहा था तो बच्चे बार-बार उसके घर में घुस रहे थे और उसे परेशान कर रहा थे। बच्ची और उसकी मां को कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने बच्चे की गवाही का हवाला देते हुए कहा कि पीड़िता के जिरह से पता चलता है कि मां ने आरोपी से लड़ाई की। जब झगड़ा हुआ तो पीड़िता ने बयान दिया कि मेरी मां ने मुझसे कहा कि पुलिस को ऐसा बताओ। इस प्रकार, परिस्थितियां दर्शाती हैं कि शिकायतकर्ता ने शिकायत दर्ज करने से पहले लड़ाई की थी। इसके बाद मां के निर्देश पर बच्चे ने पुलिस को बयान दिया।
अदालत ने आगे कहा कि पीड़िता की एकमात्र गवाही विश्वसनीय, भरोसेमंद नहीं है और मां के प्रभाव में है। पीड़ित ने बयान दिया कि उसने अपनी बहन को घटना की सूचना दी थी और बहन ने अपनी मां को बताया था। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि यह आम बात है कि एक मां पड़ोसी से झगड़ा करती है जब उसके बच्चे को खेलने के लिए डांटा जाता है और घर से निकाले जाने पर बच्चा रोने के लिए बाध्य होता है।
अदालत ने आगे निष्कर्ष निकाला कि यह आश्चर्य की बात नहीं है कि बच्चे इमारतों में खेलते हैं और इससे बुजुर्ग परेशान हो जाते हैं। इसलिए यह नहीं देखा गया कि यह यौन इरादे से था। मेरे विचार में साक्ष्य प्रेरक विश्वास नहीं है। पीड़ित के जिरह से पता चलता है कि झगड़े के कारण मां ने उसे ऐसा बताने के लिए कहा था।
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