मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर पीठ (Indore Bench of Madhya Pradesh High Court) ने हाल ही में एक पीड़िता द्वारा आरोपी के खिलाफ दर्ज कराए गए बलात्कार के मामले को खारिज कर दिया। महिला द्वारा शख्स पर आरोप लगाया गया था कि उसने उससे शादी करने का झूठा वादा करके उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किया था।
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सुबोध अभ्यंकर (Justice Subodh Abhyankar) की पीठ ने कहा कि भले ही यह मान लिया जाए कि आरोपी ने पीड़िता के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए थे, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता है कि यह संबंध पीड़िता की इच्छा के खिलाफ या उसकी सहमति के बिना बनाया गया था।
कोर्ट ने आगे कहा कि यह अविश्वसनीय था कि आरोपी, जो अपनी मां, बहन और साले के साथ शादी का प्रस्ताव लेकर पीड़िता के घर गया था और घर की ऊपरी मंजिल पर वह उसके साथ बलात्कार करेगा।
इसके अलावा, अभियोजन पक्ष के बयान को बेतुका बताते हुए हाई कोर्ट ने इसे एक सहमति से संबंध पाया और परिणामस्वरूप FIR रद्द करने के आरोपी की याचिका को अनुमति दे दी गई। आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 376, 294 और 506 के तहत FIR दर्ज की गई। कोर्ट द्वारा चार्जशीट खारिज कर दी गई।
क्या है पूरा मामला?
21 जुलाई, 2020 को अभियोजन पक्ष द्वारा वर्तमान याचिकाकर्ता/आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 376, 294 और 506 के तहत FIR दर्ज की गई थी। इसमें महिला ने कहा था कि वह एक तलाकशुदा है और वह एक बार फिर से अपना घर बसाना चाहती है, इसलिए वह 21 फरवरी, 2020 को शादी के उद्देश्य से आरोपी से पहली बार मिली।
उसने कहा कि इसके बाद वह 29 फरवरी, 2020 को एक होटल में उससे फिर से मिली, जिसमें आरोपी ने उसके साथ अंतरंग होने की कोशिश की, लेकिन जब उसने इसका विरोध किया, तो उसने उसे सांत्वना दी कि वह उससे शादी करेगा। हालांकि, उसने उस दिन कुछ नहीं किया।
महिला के आरोप है कि इसके अलावा 26 जून, 2020 को याचिकाकर्ता/आरोपी अपनी मां, बहन और साले के साथ उसके घर आया, जिस पर अभियोक्ता ने सोचा कि वह अपना वादा पूरा करने आया है और उसे ऊपरी मंजिल पर ले गया है। उससे निजी तौर पर बात की और उसका गलत फायदा उठाया।
इसके बाद, वे भोपाल के लिए रवाना हो गए और वहां से याचिकाकर्ता ने उसे भोपाल आने के लिए भी बुलाया, जहां वे आनंद लेंगे। हालांकि अभियोजक ने इनकार कर दिया, क्योंकि उसने कहा कि चूंकि उसने अभी भी उससे शादी नहीं की है, इसलिए उसके परिवार के सदस्य उसे जाने की अनुमति नहीं देंगे।
महिला की इस बात पर याचिकाकर्ता नाराज हो गया और गाली-गलौज करने लगा। साथ ही उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी और उसे ब्लॉक भी कर दिया। इस प्रकार, अभियोक्ता डर गई और यह आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई कि याचिकाकर्ता ने उसका यौन शोषण किया था और वह उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई चाहती है।
कोर्ट की टिप्पणियां
FIR में दर्ज बयानों को देखते हुए अदालत ने पाया कि यह स्पष्ट था कि 29 फरवरी को याचिकाकर्ता ने उसे किसी होटल में बुलाया था और उसका फायदा उठाने की कोशिश की थी। हालांकि, जब उसने कहा कि उसने अभी तक उससे शादी नहीं किया तब उसने इस तथ्य को स्वीकार कर लिया और उसे फिर छोड़ दिया।
इसके अलावा, अदालत ने इस तथ्य को ध्यान में रखा कि कुछ दिनों के बाद, उसने उसे अपनी मां, बहन और साले से बात करने की अनुमति दी और उसके बाद 26.06.2020 को वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ उसके घर आया। आरोप है कि किस तारीख को उसने ऊपरी मंजिल पर शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए।
अदालत ने यह भी कहा कि पीड़िता ने खुद कहा था कि याचिकाकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों ने उससे कहा था कि उनके बीच विवाह उन्हें स्वीकार्य है। इसे देखते हुए, न्यायालय ने कहा कि यह स्पष्ट था कि यह मानते हुए कि अभियोक्ता का उसके घर पर याचिकाकर्ता के साथ शारीरिक संबंध था। उसके तत्काल आचरण के साथ-साथ उसके परिवार के सदस्यों के आचरण से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि वे सभी सहमत थे कि अभियोक्ता को याचिकाकर्ता से शादी करनी चाहिए।
इस प्रकार, न्यायालय ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता है कि 26 जून, 2020 को अभियोक्ता के घर में जो हुआ वह बलात्कार था, क्योंकि यह उसकी इच्छा के विरुद्ध नहीं था, या उसकी सहमति के बिना नहीं था। कोर्ट ने कहा कि कोई झूठा वादा नहीं था जो यह सुझाव दे सकता है कि यह एक बलात्कार था। नतीजतन, कोर्ट द्वारा याचिका की अनुमति दे दी गई।
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