मुंबई (Mumbai) से एक ऐसी हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है जिसे पढ़कर आपका भारतीय न्याय व्यवस्था से विश्वास उठ जाएगा। देश की आर्थिक राजधानी में अपनी 10 और 17 साल की दो नाबालिग बेटियों के यौन उत्पीड़न के आरोप में छह साल जेल में बिताने वाले एक 53 वर्षीय व्यक्ति को एक स्पेशल पॉक्सो अदालत (Mumbai special Pocso court) ने हाल ही में कथित पीड़ितों और अन्य लोगों की गवाही पर भरोसा नहीं करने के बाद बरी कर दिया। बड़ी लड़की सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित थी। आरोपी ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उसके खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया, क्योंकि वह अपनी बेटियों के साथ सख्त था।
क्या है पूरा मामला?
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, अभियोजन पक्ष का आरोप था कि 2017 में दोनों लड़कियां अपने पिता के साथ रह रही थीं। 17 साल की किशोरी दिव्यांग थी। आरोप है कि पिता दोनों बच्चों के साथ दुष्कर्म करता था। आरोप है कि 10 साल की बच्ची ने 25 जून, 2017 को अपने पड़ोसी को यह बात बताई थी, जो मकान मालकिन का रिश्तेदार था। अभियोजन पक्ष ने आगे कहा कि मकान मालकिन पीड़िता से मिली और फिर दोनों महिलाएं उसे पुलिस स्टेशन ले गईं। शिकायत के बाद पिता को गिरफ्तार कर लिया गया। पिता पिछले छह सालों से जेल की सजा काट रहा था।
बच्चियों का बयान
कोर्ट में दोनों छोटे बच्चों, मकान मालकिन और उसके पड़ोसी समेत 10 गवाहों ने गवाही दी। बच्चों ने पुलिस को दिए अपने बयानों को कोर्ट में दोहराया। जिरह के दौरान बच्ची ने स्वीकार किया कि शुरू में वह अपनी दादी के साथ शहर के दूसरे हिस्से में रहती थी। उसने यह भी कहा कि उसके भाई और बहन भी उसके साथ वहां रह रहे थे। बच्ची ने कहा कि उस वक्त उसके पिता उनके साथ नहीं रहते थे। उसने स्वीकार किया कि उसके पिता उसे स्कूल छोड़ने और लेने आते थे। साथ ही वह उसकी पूरी देखभाल कर रहे थे। उसकी दैनिक जरूरतों को वह पूरा कर रहे थे और रेस्तरां से खाना लाकर देते थे। मकान मालकिन अदालत में अपने पूर्व किराएदार के रूप में अभियुक्त की पहचान करने में विफल रही। उसने कहा कि वह उस व्यक्ति को नहीं जानती जिसे कमरा किराए पर दिया गया था।
कोर्ट का आदेश
नाबालिग की गवाही का जिक्र करते हुए (जिसमें उसने सहमति व्यक्त की थी कि उसके पिता उसकी रोजमर्रा की जरूरतों की देखभाल करते थे) अदालत ने कहा, “इस जिरह से यह स्पष्ट है कि आरोपी देखभाल करने वाला जिम्मेदार पिता था, जब पीड़िता और उसकी बहन उसके साथ रह रही थी।” अदालत ने यह भी कहा कि मेडिकल साक्ष्य पीड़िता के पिता द्वारा किए गए कोई भेदनात्मक यौन हमलों के आरोपों का समर्थन नहीं करते हैं। अदालत ने कहा कि अपने पिता और बहन के साथ किराए के कमरे में रहने से पहले वह अपनी दादी के साथ रह रही थी।
कोर्ट ने कहा कि वह अपने पिता की तुलना में अपनी दादी के करीब है। ऐसी परिस्थितियों में पीड़िता सबसे पहले अपनी दादी के सामने यौन उत्पीड़न की घटना का खुलासा करती, लेकिन वह दो महीने तक चुप रही और अचानक अपने पड़ोसी को मामले के बारे में जानकारी दी। पीड़ित लड़की का यह व्यवहार अजीब और असंबद्ध प्रतीत होता है। अदालत ने यह भी सवाल किया कि बच्ची अपने पड़ोसी को घटना के बारे में बताने से पहले दो महीने तक चुप क्यों रही?
अदालत ने आखिरी में कहा कि बच्चे, पड़ोसी और मकान मालकिन ने यौन उत्पीड़न के मामले में अलग-अलग बयान दिए। इन टिप्पणियों के साथ ही बेटियों के यौन उत्पीड़न के आरोप में छह साल जेल में बिताने वाले व्यक्ति को स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने कथित पीड़ितों और अन्य लोगों की गवाही पर भरोसा नहीं करने के बाद बरी कर दिया।
(यौन उत्पीड़न से संबंधित मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार पीड़िता की निजता की रक्षा के लिए उसकी पहचान उजागर नहीं की गई है।)
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