पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने सोमवार 5 सितंबर को एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि एक कपल की सगाई और एक-दूसरे से मिलने से भावी (होने वाले) दूल्हे को अपनी मंगेतर की सहमति के बिना यौन शोषण करने का अधिकार या स्वतंत्रता नहीं मिलती है। हाई कोर्ट ने अपनी मंगेतर द्वारा बलात्कार के आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस विवेक पुरी की खंडपीठ ने उस व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसके खिलाफ उसकी मंगेतर ने बलात्कार का केस दर्ज करवाया है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को सगाई और शादी के बीच की अवधि के दौरान अपनी मंगेतर की सहमति के बिना उसका शारीरिक शोषण करने की कोई छूट नहीं मिल सकती है।
क्या है पूरा मामला?
याचिकाकर्ता (भावी दूल्हे) और उसकी मंगेतर (पीड़िता) का रोका समारोह (Roka Ceremony) 30 जनवरी, 2022 को आयोजित किया गया था। इस दौरान परिवार की सहमति से 6 दिसंबर, 2022 के लिए शादी की तारीख तय की गई थी। 18 जून, 2022 को पीड़िता को एक होटल के एक कमरे में ले जाया गया, जहां कथित तौर पर उसकी अनिच्छा के बावजूद, याचिकाकर्ता ने पीड़िता के साथ शारीरिक संबंध बनाए और उसके वीडियो भी बनाएं।
इसके बाद 17 जुलाई 2022 को याचिकाकर्ता (भावी दूल्हे) की मां ने पीड़िता की बहन की सास को सूचित किया कि याचिकाकर्ता पिछले दो महीनों से घर पर झगड़ा कर रहा है, क्योंकि वह पीड़िता से शादी नहीं करना चाहता है। याचिकाकर्ता का यह मानना था कि जब उसके परिवार को पता चला कि पीड़िता के अन्य पुरुष मित्रों के साथ प्रेम संबंध हैं, तो उन्होंने 2 जुलाई, 2022 को शादी न करने का फैसला किया था।
हालांकि, उसकी मंगेतर (पीड़िता) ने याचिकाकर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 के तहत मामला दर्ज कराया। अपनी शिकायत में महिला ने आरोप लगाया कि उसने (याचिकाकर्ता) 18 जून, 2022 को उसके साथ बलात्कार किया। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि सगाई के बाद, याचिकाकर्ता और पीड़िता स्वेच्छा से होटल गए थे और उनके नाम होटल के रिकॉर्ड में गेस्टके रूप में दर्शाए गए हैं।
उसकी तरफ से आगे यह तर्क दिया गया कि पीड़िता की सहमति से शारीरिक संबंध बनाए गए थे। इस घटना के बाद भी, व्हाट्सएप मैसेज का आदान-प्रदान किया गया जो यह दर्शाता है कि यह संबंध सहमति से बनाए गए थे। इसलिए, IPC की धारा 376 के तहत कोई मामला नहीं बनता है।
पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा जिन व्हाट्सएप मैसेज पर भरोसा करने की मांग की गई है, वे घटना के बाद के थे। कोर्ट ने कहा कि यह इंगित करने के लिए सामग्री की कमी है कि 18 जून, 2022 (कथित घटना की तारीख) को पीड़ित पक्ष ने ऐसे किसी भी संबंध के लिए सहमति दी थी।
लाइव लॉ के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि हो सकता है कि घटना के बाद व्हाट्सएप चैट का आदान-प्रदान इसलिए किया गया हो, क्योंकि उस समय वैवाहिक गठबंधन मौजूद था। हालांकि, यह मैसेज यह इंगित नहीं करते हैं कि यह कृत्य याचिकाकर्ता द्वारा पीड़िता की सहमति से किया गया था। किसी भी समय यह पता नहीं चला है कि पीड़िता ने स्वेच्छा से संभोग के लिए सहमति दी थी और यह एक सहमति से संबंध बनाने का मामला है।
इस पृष्ठभूमि में अदालत ने इस तथ्य को भी ध्यान में रखा कि याचिकाकर्ता की मां से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जब शारीरिक संबंध विकसित हुए थे, उस समय भी याचिकाकर्ता की ओर से शादी करने के लिए अनिच्छा जाहिर की गई थी। कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह इंगित करने के लिए सामग्री की कमी है कि याचिकाकर्ता की ओर से शादी करने का का वास्तविक इरादा था और पीड़िता प्रासंगिक समय पर सहमति देने वाला पक्ष थी।
कोर्ट ने कहा कि मामले की अजीब परिस्थितियों में यह साबित नहीं हुआ है कि यह संबंध सहमति से बनाए गए थे…पीड़िता का स्पष्ट बयान है कि याचिकाकर्ता ने उसकी अनिच्छा, अस्वीकृति और इनकार के बावजूद उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए।
पीड़िता की ओर से कृत्य के प्रति निष्क्रिय प्रस्तुतिकरण को यह मानने के लिए एक परिस्थिति के रूप में नहीं माना जा सकता है कि यह संबंध सहमति से बनाए गए थे। कोर्ट ने आखिरी में अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह मानने के लिए एक परिस्थिति के रूप में नहीं माना जा सकता है कि यह सहमति से संबंध का मामला था।
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