बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान अहम फैसला देते हुए कहा कि आपराधिक मामले के लंबित होने के कारण पासपोर्ट रिन्यूअल (Passport Renewal) से इनकार नहीं किया जा सकता है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि पासपोर्ट रिन्यूअल के लिए अदालत की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
क्या है पूरा मामला?
लॉ ट्रेंड की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस एस.वी. गंगापुरवाला और जस्टिस माधव जे. जामदार ने उपरोक्त टिप्पणी उस मामले की सुनवाई के दौरान की, जिसमें याचिकाकर्ता ने पासपोर्ट रिन्यूअल के लिए आवेदन किया था, लेकिन कोर्ट में केस लंबित होने के कारण उसका आवेदन पेंडिंग था। आवेदन के बावजूद अधिकारी पासपोर्ट रिन्यूअल की मंजूरी नहीं दे रहे थे। उनका कहना था कि याचिकाकर्ता को उस न्यायालय से अनुमति लेनी होगी, जहां उसके खिलाफ एक आपराधिक मामला लंबित है।
याचिकाकर्ता का तर्क
याचिकाकर्ता के वकील श्री विवेक कांतावाला ने प्रस्तुत किया कि पासपोर्ट रिन्यूअल के लिए अदालत से अनुमति आवश्यक नहीं है, जहां याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक मामला लंबित है। साथ ही यह भी प्रस्तुत किया गया कि यदि कोई आपराधिक मामला लंबित है, तो केवल एक ही सीमा होगी और याचिकाकर्ता अदालत की अनुमति के बिना विदेश यात्रा नहीं कर सकता जहां याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक मामला लंबित है।
हाई कोर्ट का फैसला
श्री डी.पी. सिंह, संघ के वकील ने पासपोर्ट अधिनियम, 1967 की धारा 6.2 (f) पर भरोसा किया और निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ता को पासपोर्ट जारी करने के उद्देश्य से उस न्यायालय की अनुमति लेनी होगी, जहां याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक मामला लंबित है। कोर्ट ने कहा कि यह पासपोर्ट जारी करने का मामला होगा, न कि पासपोर्ट रिन्यूअल का…। हाई कोर्ट ने आगे कहा कि इस तथ्य के मद्देनजर कि याचिकाकर्ता को पहले ही पासपोर्ट जारी किया जा चुका है। इसके साथ ही पीठ ने प्रतिवादी को याचिकाकर्ता के आवेदन पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
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