चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने शुक्रवार (30 दिसंबर 2022) को कहा कानूनी पेशे में भविष्य महिलाओं का है। लीगल वेबसाइट बार एंड बेंच के मुताबिक, CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि कानूनी पेशे में समय बदल गया है, न्यायिक अधिकारियों के बीच अधिक जेंडर (Gender Diversity) विविधता देखी गई है।
CJI ने कहा, “समय बदल गया है। कई राज्यों में न्यायिक बिरादरी में महिलाएं और पुरुष दोनों बड़ी संख्या में आ रहे हैं… (महिलाएं) तत्कालीन न्यायिक बिरादरी, न्यायिक सेवा में आने वाले पुरुषों की संख्या के मामले में आगे निकल गई हैं। मेरा मानना है कि यह उस समय का संकेत है जब न्यायिक सेवाएं आज के हमारे आधे से ज्यादा समाज की उपस्थिति से समृद्ध होंगी…इसलिए मेरा मानना है कि हमारे पेशे में भविष्य महिलाओं का है।”
CJI चंद्रचूड़ आंध्र प्रदेश न्यायिक अकादमी के एक नए भवन के उद्घाटन समारोह के साथ-साथ हाई कोर्ट की कई डिजिटलीकरण प्रोजेक्ट को संबोधित कर रहे थे। CJI ने अपने संबोधन में कहा कि यह पेशे की विफलता है कि अधिकांश जिला अदालतों में अभी भी महिलाओं के लिए उपयोग करने योग्य वॉशरूम या सैनिटरी-नैपकिन डिस्पेंसर नहीं हैं।
हालांकि, उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि राज्य की न्यायिक अकादमी में युवा न्यायिक भर्तियों में पुरुषों और महिलाओं की संख्या समान थी। CJI ने कहा कि कानूनी पेशा समावेशी है और न्यायिक शिक्षा संवैधानिक मूल्यों के साथ-साथ कानून के तकनीकी ज्ञान को भी प्रदान करने के बारे में है।
बार एंड बेंच के मुताबिक, अपने भाषण में, चीफ जस्टिस ने यह भी बताया कि पेशे में ब्लैक एंड व्हाइट ड्रेस कोड सत्य और असत्य, न्यायपूर्ण और अन्याय के बीच अंतर को कैसे दर्शाता है। इसके अलावा, मामलों में अक्सर सही और अधिक सही के बीच न्यायनिर्णयन, दो गलत के बीच, या सही और गलत के बीच संतुलन भी शामिल होता है।
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