हरियाणा (Crimes Against Women In Haryana) में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के संबंध में नवंबर 2021 में सामने आए राज्य क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो डेटा रिपोर्ट के अनुसार, 2018 से 2020 के बीच हरियाणा में पुलिस द्वारा निपटाए गए बलात्कार के लगभग 40 प्रतिशत मामलों को “झूठा” घोषित किया गया है। आंकड़ों के अनुसार, जिन मामलों में अदालती मुकदमे चल रहे थे, उनमें दोषसिद्धि की दर प्रत्येक 10 में से 2 घटनाओं से कम थी।
बलात्कार के झूठे मामले
पुलिस ने तीन साल की अवधि में 4,093 मामलों का निपटारा किया, जिनमें से 1,650 (40.3 फीसदी) बलात्कार की FIRझूठी पाई गईं। द ट्रिब्यून से बात करते हुए एक अधिकारी ने बताया था कि अक्टूबर 2020 में गुरुग्राम पुलिस ने एक महिला के खिलाफ जबरन वसूली का मामला दर्ज किया, जिसमें कथित तौर पर एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी से उसके खिलाफ बलात्कार का मामला वापस लेने के लिए एक करोड़ रुपये की मांग की गई थी। इसी तरह सितंबर 2019 में रोहतक की एक अदालत ने एक महिला के खिलाफ कथित रूप से गैंगरेप की झूठी घटना की रिपोर्ट करने के लिए मामला दर्ज करने का आदेश दिया था।
भागने के बाद झूठे रेप के मामले
उस समय के हरियाणा के डीजीपी पीके अग्रवाल ने कहा था कि कई मामलों में (जिनमें भाग जाना और शादी-संबंधी विवाद शामिल हैं) शुरू में बलात्कार का आरोप लगाया जाता है, लेकिन बाद में सबूतों की कमी के कारण आरोप हटा दिए जाते हैं।
झूठे गैंगरेप के मामले
गैंगरेप की घटनाओं में कुल 139 में से 55 मामलों (39.6 फीसदी) को 2018 में झूठा घोषित किया गया था। संबंधित आंकड़े 2019 में 157 में से 80 (51 फीसदी) और 2020 में 159 में से 72 (45.3 प्रतिशत) थे।
बार-बार रेप के फर्जी मामले
2018 में “एक ही महिला से बार-बार बलात्कार” से संबंधित 276 में से 104 शिकायतें (37.7 फीसदी) झूठी पाई गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, संबंधित मामलों में 2019 में 184 में से 60 (32.6 फीसदी) और 2020 में 403 शिकायतों में से 181 (44.9 प्रतिशत) फर्जी पाए गए थे।
क्रिमिनल वकील अभिषेक राणा ने द ट्रिब्यून को बताया था कि ऐसे मामले हैं जहां लिव-इन रिलेशनशिप में खटास आ जाती है और महिलाएं रेप का आरोप लगा देती हैं। आदतन महिलाओं द्वारा केवल पैसे के लिए आरोप लगाने के भी मामले हैं। विस्तृत जांच के बाद सच्चाई सामने आती है और एफआईआर को बाद में रद्द कर दिया जाता है।
एक अन्य वकील समीर सेठी ने आरोप लगाया कि बलात्कार कानून का अक्सर बदला लेने और पैसे वसूलने के लिए दुरुपयोग किया जाता था। उन्होंने अखबार से कहा था कि ऐसे मामले भी हैं जहां दोनों पक्ष टेस्ट के दौरान समझौता कर लेते हैं।
POCSO के तहत झूठे मामले
जब यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम की धारा 4 और 6 के तहत बाल बलात्कार की बात आती है, तो झूठे मामलों की स्थिति वही है।
– 2018 में 1,046 में से कुल 89 FIR (8.5%) को झूठा घोषित किया गया था।
– 2019 में यह 11 फीसदी था (1,147 में से 126 फर्जी)।
– 2020 में यह 12.4 फीसदी था (1,097 में से 136 मामलों को झूठा घोषित किया गया था)।
– ऐसे मामलों में सजा की दर 2018 में 32.5 फीसदी, 2019 में 32.4 फीसदी और 2020 में 25.2 फीसदी थे।
https://voiceformenindia.com/haryana-40-3-rape-cases-between-2018-2020-declared-false-by-state-crime-record-bureau-data/
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