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Home हिंदी कानून क्या कहता है

पत्नी से लंबे समय तक अलग रहने के बाद किसी अन्य महिला के साथ रहने वाले पति को क्रूरता नहीं कहा जा सकता: दिल्ली HC

Team VFMI by Team VFMI
September 18, 2023
in कानून क्या कहता है, हिंदी
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voiceformenindia.com

Husband Making Friends At Work Not Cruelty, Merely Drinking Alcohol Daily Doesn't Make Him Alcoholic When No Untoward Incident: Delhi High Court

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दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने हाल ही में एक तलाक के मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि पत्नी से अलग होने के बाद लंबे समय तक किसी अन्य महिला के साथ रहने वाले पति को क्रूरता नहीं कहा जा सकता है, जब पुनर्मिलन की कोई संभावना नहीं है। अदालत ने कहा कि अलगाव के इतने लंबे वर्षों के बाद पुनर्मिलन की कोई संभावना नहीं होने के बाद, पति को दूसरी महिला के साथ रहकर शांति मिल सकती है और यह उसे अपनी पत्नी से तलाक से वंचित नहीं कर सकता है। इसके साथ ही अदालत ने हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 13(1)(ia) के तहत क्रूरता के आधार पर पति को तलाक देने के फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली एक महिला की याचिका खारिज कर दी।

क्या है पूरा मामला?

बार एंड बेंच के मुताबिक, कपल की शादी 3 दिसंबर 2003 को हुई थी लेकिन जल्द ही विवाद पैदा हो गया और वे 2005 में अलग रहने लगे। यह आरोप लगाया गया कि पत्नी ने कई समस्याएं पैदा करके अपने पति के साथ क्रूरता की और यहां तक कि अपने भाई और रिश्तेदारों से उसकी पिटाई भी करवाई। बताया गया कि पत्नी और उसके परिवार के सदस्यों को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 506 (II) के तहत भी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है।

वहीं, दूसरी तरप अपीलकर्ता-पत्नी ने तर्क दिया कि उन्होंने एक भव्य शादी की थी और इसके बावजूद पति ने कई मांगें कीं। उसने कहा कि उसकी सास ने उसे कुछ दवाइयां इस आश्वासन के साथ दी थीं कि बेटा पैदा होगा, लेकिन इसका मकसद उसका गर्भ गिराना था। पत्नी ने दावा किया कि इसके बाद उसे दहेज के लिए उत्पीड़न और क्रूरता का शिकार होना पड़ा।

हाई कोर्ट

लाइव लॉ के मुताबिक, जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने कहा कि अलगाव के इतने लंबे वर्षों के बाद पुनर्मिलन की कोई संभावना नहीं होने के बाद, पति को दूसरी महिला के साथ रहकर शांति मिल सकती है और यह उसे अपनी पत्नी से तलाक से वंचित नहीं कर सकता है। अदालत ने आगे कहा है कि इस तरह के संबंध का परिणाम प्रतिवादी-पति, महिला और बच्चों को भुगतना होगा।

अदालत ने देखा, “भले ही यह मान लिया जाए कि तलाक की याचिका लंबित होने के दौरान प्रतिवादी-पति ने दूसरी महिला के साथ रहना शुरू कर दिया है और उसके दो बेटे हैं, इसे अपने आप में इस मामले की विशिष्ट परिस्थितियों में क्रूरता नहीं कहा जा सकता है, जब दोनों पक्ष 2005 से एक साथ नहीं रह रहे हैं। अलगाव के इतने लंबे वर्षों के बाद पुनर्मिलन की कोई संभावना नहीं होने के बाद, प्रतिवादी पति को किसी अन्य महिला के साथ रहकर अपनी शांति और आराम मिल सकता है, लेकिन, यह तलाक की याचिका के लंबित रहने के दौरान की एक बाद की घटना है और क्रूरता के सिद्ध आधार पर पति को पत्नी से तलाक से वंचित नहीं किया जा सकता है।”

मामले पर विचार करने के बाद, अदालत ने कहा कि भले ही पत्नी ने दावा किया था कि उसे दहेज के लिए उत्पीड़न और क्रूरता का शिकार होना पड़ा, लेकिन वह अपने दावे को साबित नहीं कर पाई और यह क्रूरता का कृत्य है। कोर्ट ने कहा कि अपील में ही महिला ने पहली बार दावा किया था कि उसके पति ने शादी की और दो बेटों को जन्म दिया। हालांकि, बेंच ने कहा कि कथित दूसरी शादी का न तो कोई डिटेल्स और न ही कोई सबूत रिकॉर्ड पर पेश किया गया है या पुलिस को दी गई शिकायतों में दिया गया है। इसलिए, हाई कोर्ट ने महिला की अपील खारिज कर दी और तलाक देने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा।

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