दिल्ली की एक अदालत (Delhi court) ने एक व्यक्ति की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि वह अपनी अलग हुई पत्नी को अंतरिम गुजारा भत्ता नहीं दे सकता, क्योंकि उसके पास आय का स्रोत नहीं है। अदालत ने कहा कि जिस कंपनी में उन्होंने डायरेक्टर के रूप में काम किया, उसके ब्रांड एंबेसडर के रूप में भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) हैं। अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि यह दर्शाता है कि याचिकाकर्ता-पति एक ‘साधन संपन्न’ व्यक्ति है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, एक महिला ने अपने पति पर कथित घरेलू हिंसा का आरोप लगाते हुए दावा किया था कि वह अलग रह रही है और उसके पास आजीविका का कोई साधन नहीं है। घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत दायर उसकी शिकायत में अंतरिम भरण-पोषण के अलावा विभिन्न राहत की मांग की गई है।
ट्रायल कोर्ट ने शख्स की मासिक आय 1 लाख रुपये होने का आकलन करते हुए उसे अलग रह रही पत्नी को 30,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया था। इसके बाद उस व्यक्ति ने यह कहते हुए निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी कि उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है। पति ने भरण-पोषण के इस आदेश को चुनौती देते हुए दावा किया कि उसकी आय शून्य है और वो चैरिटी पर रह रहा है।
पत्नी का दावा
पत्नी के वकील ने कोर्ट में उक्त प्रोडक्ट के रैपर को पेश किया, जिस कंपनी में उसका पति डायरेक्टर था। रैपर ने भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली को उस उत्पाद के ब्रांड एंबेसडर के रूप में दिखाया। पत्नी का कहना है कि उसके पति की आय लाखों में है और उसने आरोप लगाया कि खुद को कंगाल दिखाने के लिए उसके पति ने गड़बड़झाला किया है। पत्नी ने पति पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाते हुए कहा कि वो अलग रह रही हैं और उसके पास आय का कोई भी साधन नहीं है।
पति का तर्क
पति ने तर्क दिया कि उसकी पत्नी भरण-पोषण की हकदार नहीं थी, क्योंकि उसने उसके कारोबार से काफी रुपए कमाए हैं और आय कमाने लायक वो शिक्षित है।
दिल्ली कोर्ट का आदेश
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुज अग्रवाल (Judge Anuj Agrawal) निचली अदालत के उस आदेश के खिलाफ पति की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे जिसमें अलग रह रही पत्नी को 30,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया था। अदालत ने पाया कि वो जिस कंपनी में डायरेक्टर के पद पर था, उसके ब्रांड एंबेसडर क्रिकेटर विराट कोहली हैं। अदालत ने कहा कि कोर्ट इस तथ्य का न्यायिक नोटिस ले सकती है कि उक्त ब्रांड के एंबेसडर विराट कोहली हैं, जो भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के कप्तान हैं।
इसीलिए, यह असंभव है कि एक कंपनी जो काफी घाटे में चल रही हो (जैसा कि याचिकाकर्ता ने दावा किया है), वो इस स्थिति में है कि ऐसे सेलिब्रिटी को अपने प्रोडक्ट के प्रचार के लिए ला सके। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में वास्तविक आय को छिपाने का एक चलन रहा है और यह मानने लायक नहीं है कि शादी और फिर खर्च चलाने में सक्षम व्यक्ति अचानक से कंगाल हो जाए। इसीलिए, 30,000 रुपए का अंतरिम भरण-पोषण न दिया जाना अनुचित और अन्यायपूर्ण होगा। इस प्रकार कोर्ट ने रखरखाव आदेश को बरकरार रखते हुए पति की याचिका रद्द कर दी।
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