फरवरी 2021 में ऑटो से घर लौट रही 19 वर्षीय बी फार्मा (B. Pharma) की एक छात्रा द्वारा ऑटो चालक और उसके तीन दोस्तों पर कथित तौर पर उसका अपहरण करने और योजनाबद्ध तरीके से बलात्कार करने का आरोप लगाया गया था। महिला के मुताबिक, ऑटो चालक ने परेशानी का हवाला देते हुए एक जगह रुककर वैन में बैठने को कहा। लड़की ने अपने बयान में आरोप लगाया कि जब उसने देखा कि वैन सही रास्ता नहीं ले रही है, तो उसने तुरंत अपने पिता को जानकारी दी, जिन्होंने कथित तौर पर पुलिस को सूचित किया।
मीडिया में बड़े स्तर पर खबर चलने और पुलिस जांच के बाद सभी 4 युवा ऑटोरिक्शा चालकों को केसरा पुलिस स्टेशन से छोड़ दिया गया। लड़की द्वारा लगाए गए फर्जी आरोपों की वजह से 19 साल की उम्र में अपहरण और गैंगरेप के आरोपों के बाद दो दिनों तक उनका जीवन अधर में लटक गया था।
तेलंगाना टुडे द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, राचकोंडा पुलिस ने अपनी जांच में पाया था कि लड़की ने युवकों पर फर्जी आरोप लगाई थी। पुलिस ने पुष्टि की थी कि लड़की द्वारा सारा ड्रामा इसलिए रचा गया था, क्योंकि उसकी कथित तौर पर अपने परिवार के साथ किसी बात को लेकर बहस हुई थी। इसके बाद वह घर छोड़ना चाहती थी।
जब वह घर से निकली तो ऑटो चालकों के साथ यात्रा करने के बाद किराए के भुगतान को लेकर कथित तौर पर बहस हुई थी। राचकोंडा के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर महेश एम भागवत ने कहा था कि पूरी जांच और तकनीकी साक्ष्य से साबित होता है कि कथित अपराध कभी हुआ ही नहीं। भागवत ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि यह मामला झूठा साबित हुआ है।
क्या था मामला?
दरअसल, केसरा पुलिस के पास छात्रा की मां द्वारा अपहरण का केस दर्ज करवाया गया था। महिला के बयान के आधार पर दुष्कर्म और मारपीट की धाराएं भी जोड़ी गई थीं। हालांकि, जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी और सीसीटीवी फुटेज समेत अन्य सबूत जुटाए गए। जांच के दौरान पुलिस को लड़की के बयान में विसंगतियां नजर आने लगीं।
भागवत ने बताया था कि हमने उससे फिर से बात की और उसने कबूल किया कि पारिवारिक मुद्दों के कारण वह घर छोड़ना चाहती थी। बाद में पुलिस की संलिप्तता से घबराकर उसने फर्जी कहानी गढ़ी। उसके करीबी दोस्तों से पूछताछ करने पर, हमें पता चला कि वह अपहरण की कहानियों से प्रभावित थी और अक्सर इसके बारे में बात भी करती थी।
पुलिस ने पहले शक के आधार पर लड़की को हिरासत में ले लिया। फिर पूछताछ के दौरान उसके बयानों से संदेह पैदा हुआ। इसके बाद करीब 100 पुलिसकर्मियों को सबूत जुटाने के लिए काम पर लगा दिया गया। भागवत ने आगे कहा था कि हमने लगभग 100 निगरानी कैमरों से फुटेज एकत्र किए। लड़की और संदिग्धों के कॉल डेटा रिकॉर्ड एकत्र किए गए और सत्यापित किए गए।
उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) या शिकायत दर्ज करना दंडनीय है। तत्कालीन हैदराबाद पुलिस कमिश्नर को फर्जी गैंगरेप मामले में चारों बेकसूर आरोपित ऑटो चालकों से माफी भी मांगी थी।
भागवत ने मीडिया से भी आग्रह किया था कि जब जांच चल रही हो तो तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश न करें। उन्होंने मीडिया से कहा कि जब जांच चल रही हो तो मीडिया ट्रायल न करें, निर्दोष व्यक्तियों को आरोपी घोषित न करें। पुलिस किसी भी मामले की जांच करते समय उनकी तस्वीरें प्रदर्शित करें।
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