स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 की धारा 28 के तहत एक साल की कूलिंग-ऑफ पीरियड को माफ करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने एक युवा कपल को राहत दी है, जो अपने करियर पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आपसी सहमति से अलग होना चाहते थे। टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की रिपोर्ट के मुताबिक, इस कपल की शादी को केवल तीन महीने ही हुए थे, जब उन्होंने तलाक का विकल्प चुनने का फैसला किया।
क्या है पूरा मामला?
कपल ने 16 नवंबर, 2022 को स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के प्रावधानों के तहत विवाह रजिस्ट्रार के कार्यालय में शादी की थी। हालांकि, मतभेदों के बाद उन्होंने आपसी सहमति से तलाक देने के लिए 24 फरवरी, 2023 को एक आवेदन दायर किया। 25 मार्च, 2023 को बेंगलुरु की फैमिली कोर्ट ने एक साल की कूलिंग-ऑफ अवधि का हवाला देते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद कपल ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी। कपल की ओर से दलील दी गई कि कूलिंग-ऑफ पीरियड अनिवार्य नहीं है। कपल ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का भी हवाला दिया।
हाई कोर्ट
अपीलकर्ताओं द्वारा निर्णयों पर गौर करने की अपील के बाद पीठ ने कहा कि याचिका दायर करने के लिए कूलिंग-ऑफ पीरियड और याचिका दायर करने की तारीख से छह महीने की अतिरिक्त अवधि प्रदान करने का उद्देश्य यह देखना है कि पक्षकार कार्यवाही से उनका मन बदल सकता है और उनके मतभेद सुलझ सकते हैं। कपल द्वारा दायर संयुक्त अपील को स्वीकार करते हुए जस्टिस जी नरेंद्र और जस्टिस विजयकुमार ए पाटिल की खंडपीठ ने उन्हें बेंगलुरु में संबंधित फैमिली कोर्ट में जाने का निर्देश दिया। फैमिली कोर्ट को उनके आवेदन पर कानून के अनुसार विचार करने और उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया गया है।
अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में दोनों अपीलकर्ता बेंगलुरु में निजी कंपनियों में काम करने वाले इंजीनियरिंग ग्रेजुएट हैं। याचिका में दलीलों के साथ-साथ कूलिंग-ऑफ अवधि की छूट की मांग करने वाले आवेदन से यह स्पष्ट होता है कि सुलह के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, पार्टियों ने खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, ”एक दूसरे के खिलाफ कोई आरोप या दावा किए बिना अलग होने का फैसला किया।”
पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कानून में उल्लिखित अवधि अनिवार्य नहीं है। हालांकि, पीठ ने कहा कि अदालतों को अपने विवेक का प्रयोग करते हुए प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर गौर करना होगा कि क्या कार्यवाही के पक्षकारों के फिर से एकजुट होने और सहवास फिर से शुरू करने की संभावना है या वैकल्पिक रूप से मामले की योग्यता के आधार पर विचार करने के लिए आगे बढ़ें।
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