2018 के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी केरल के आत्महत्या के आंकड़े एक गंभीर तस्वीर सामने लाती हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 2018 में राज्य में कुल 8,237 लोगों ने आत्महत्या की। हैरानी की बात यह है कि 2018 में आत्महत्या करने वाले बेरोजगारों की संख्या अपनी जान देने वाले किसानों की संख्या से अधिक हो गई। यह आंकड़ें जनवरी 2020 में सामने आई थी।
आंकड़ों के मुताबिक, कुल 12,936 बेरोजगारों ने अपनी जान दी, जो कुल आत्महत्याओं का 9.6% है, जबकि कृषि क्षेत्र में 10,349 की तुलना में कुल आत्महत्याओं का 7.7% हिस्सा था। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों से पता चला है कि देश में कुल आत्महत्या 2018 में 3.6% बढ़कर 1,34,516 हो गई, जो 2017 में 1,29,887 थी।
केरल में विवाह/पारिवारिक समस्याओं के कारण की गई आत्महत्याएं
अंग्रेजी मीडिया ने अक्सर हमें यह विश्वास दिलाया है कि केवल और केवल महिलाएं ही खराब शादी में पीड़ित होती हैं या यह केवल महिलाएं ही होती हैं जो अपने वैवाहिक घरों में घरेलू हिंसा या अन्य उत्पीड़न के कारण आत्महत्या करती हैं। अपनी पत्नी और ससुराल वालों के उत्पीड़न के कारण या भारत में अत्यधिक लैंगिक पक्षपातपूर्ण कानूनों के कारण जिस उथल-पुथल का सामना करना पड़ सकता है, उसके बीच कोई भी उस आघात के बारे में नहीं बोलता है जिससे वह गुजर रहा है।
नीचे दिए गए आंकड़ों से आइए विवाह संबंधी मुद्दों या विभिन्न अन्य पारिवारिक समस्याओं के कारण दोनों जेंडरों द्वारा की गई आत्महत्याओं को देखें और समझें। यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि पुरुषों द्वारा की गई आत्महत्या की संख्या महिलाओं की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है।
विवाह संबंधी मुद्दे (Marriage Related Issues)
पुरुष: 104
महिला: 47
विवाह का निपटान न होना (Non Settlement of Marriage)
पुरुष: 35
महिला: 12
विवाहेतर संबंध (Extra Marital Affair)
पुरुष: 23
महिला: 19
तलाक (Divorce): (7 बार से ज्यादा)
पुरुष: 15
महिला: 2
अन्य वैवाहिक मुद्दे (Other Marital Issues)
पुरुष: 29
महिला: 11
पारिवारिक समस्याएं (Family Problems)
पुरुष: 2458
महिला: 755
मानसिक बीमारी (जब पुरुषों की बात आती है तो इसे हमेशा नजरअंदाज़ किया जाता है)
पुरुष: 774
महिला: 256
प्रियजनों की मौत
पुरुष: 95
महिला: 45
प्रेम संबंधों:
पुरुष: 115
महिला: 79
संपत्ति विवाद:
पुरुष: 35
महिला: 3
संदिग्ध अवैध संबंध
पुरुष: 35
महिला: 3
महिलाओं से हर मामले में ज्यादा पीड़ित हैं पुरुष
यदि हम कैंसर, लकवा और नशीली दवाओं के दुरुपयोग जैसे अन्य मेडिकल संबंधी मापदंडों को देखें, तो भी आत्महत्या करने वाले पुरुषों की संख्या इस दुर्भाग्यपूर्ण कदम को उठाने वाली महिलाओं की संख्या की तुलना में बहुत अधिक है।
जाहिर है, कोई भी जेंडर हो चाहें वह पुरुष हो या महिला किसी को भी खुदकुशी के लिए प्रेरित नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, क्या हमारे पास वास्तव में पुरुषों और महिलाओं के लिए एक समान रूप से प्लेटफॉर्म हैं जहां उन्हें सहायता मिल सके? हमारे पास राष्ट्रीय महिला आयोग, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, महिलाओं के लिए कई स्वास्थ्य संबंधी योजनाएं, केवल महिलाओं के लिए अवसाद ब्लॉग, लिंग पक्षपातपूर्ण कानून हैं जो केवल महिलाओं के पक्ष में हैं।
एक आदमी के पास वास्तव में अपने लिए क्या है? हम उसे परिवार के लिए एक प्रदाता, घर के लिए एक रक्षक के रूप में लेबल करना चाहते हैं, लेकिन जब उसे थोड़ी सी देखभाल देने की बात आती है, तो हम उसकी समस्याओं को स्वीकार करने में विफल रहते हैं। एक समाज के रूप में हम पुरुषों की दुर्दशा के प्रति इतने अनभिज्ञ और प्रतिरक्षित हो गए हैं कि हमें यह नहीं पता कि यह कैसा है और हमारे अपने घरों में हमारे पुरुष लिंग को प्रभावित कर सकता है।
पुरुषों के लिए भी क्यों नहीं बन सकता अलग आयोग?
भारत में जानवरों के लिए एक मंत्रालय हो सकता है, लेकिन पुरुषों के लिए एक आयोग के बारे में कोई बात भी नहीं करना चाहता है, जो व्यक्तिगत समस्याओं के मामले में लिंग के बीच संतुलन बना सकता है। दुखों से लड़ने के लिए हमने अपने पुरुष जेंडर को अकेला छोड़ दिया है। अगर वह जिंदगी से लड़ने में विफल रहता है, तो हम उसे अपना जीवन समाप्त करने के लिए छोड़ देते हैं।
यदि हम सभी लिंगों का समान रूप से सम्मान नहीं करते हैं तो यह एक देश के रूप में इससे अधिक शर्मनाक नहीं हो सकता। अगर ऐसा ही चलता रहा तो हम खुद को एक विवाह रहित समाज की ओर ले जा रहे हैं।
आत्महत्या रोकथाम संपर्क डिटेल्स
पारिवारिक समस्याओं और झूठे मामलों की धमकियों के कारण संकट में पड़े पुरुष यहां दिए गए लिस्ट में से किसी भी गैर सरकारी संगठन से संपर्क कर सकते हैं। ये संगठन हैं मेन वेलफेयर ट्रस्ट (Men Welfare Trust), माय नेशन होप फाउंडेशन (MyNation Hope Foundation), सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन (Save Indian Family Foundation) और वास्तव फाउंडेशन (Vaastav Foundation)
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ARTICLE IN ENGLISH:
Kerala (NCRB 2018) | Suicide Rate In Men Nearly Thrice Than Women Due To Marital Problems
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