सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति प्रक्रिया पर जारी बहस और तेज हो गई है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Union Law Minister Kiren Rijiju) ने सोमवार को कहा कि जजो को चुनाव नहीं लड़ना पड़ता है और न हीं उन्हें जनता का सामना करना पड़ता है। जबकि सरकार पर जनता की नजर हमेशा रहती है। जजो को जनता चुनकर न्यायपालिका नहीं भेजती है।
सरकार और न्यायपालिका के बीच जारी बहस पर कानून मंत्री ने कहा कि चुनी गई सरकार पर जनता की नजर हमेशा रहती है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के दौर में सरकार पर जनता की नजर और बढ़ गई है। जनता के सवालों का भी सरकार को सामना करना पड़ता है। लेकिन न्यायपालिका में जज बनने के बाद ऐसा कुछ नहीं है। जजो को चुनाव का सामना करना नहीं पड़ता है और न हीं उन्हें जनता चुनकर भेजती है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रिजिजू ने कहा कि चूंकि जनता जजों का चुनाव नहीं करती है, इसलिए वे जजों को ‘बदल’ नहीं सकते हैं, जबकि सरकार का चुनाव करने के मामले वह ऐसा कर पाते हैं। उन्होंने न्यायपालिका पर बोलते हुए कहा कि जनता यह सबकुछ देख रही है। जनता न्यायपालिका के फैसलों, काम करने के तौर तरीकों और जजो द्वारा किए गए न्यायिक फैसलों पर पैनी नजर बनाए रखती हैं। न्यायपालिका के कामकाज का आकलन जनता करती है और अपनी राय भी बनाती है। रिजिजू ने कहा कि सोशल मीडिया के युग में आप कुछ भी छिपा नहीं सकते हैं।
रिजिजू ने कहा कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने सरकार से उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है जो जजों पर हमला कर रहे हैं या सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। कानून मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जजों के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे तत्वों पर कार्रवाई करने के लिए चीफ जस्टिस ने सरकार से गुजारिश की है। इस दौरान उन्होंने कहा कि चूंकि जजो की अपनी सीमाएं हैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अक्सर होने वाली टिप्पणी के खिलाफ जज खुद का बचाव करने में सक्षम नहीं होते हैं। ऐसे में CJI ने सरकार से अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने वालो तत्वों पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
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