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Home हिंदी सोशल मीडिया चर्चा

गुजरात: शहीद जवान के परिवार ने डाक से भेजे गए ‘शौर्य चक्र’ को स्वीकार करने से किया इनकार, वृद्ध माता-पिता और विधवा के बीच विवाद

Team VFMI by Team VFMI
September 14, 2022
in सोशल मीडिया चर्चा, हिंदी
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voiceformenindia.com

Lance Naik Gopal Singh Bhadoriya's medal was delayed due to a dispute between his parents & widow

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एक शहीद सैनिक के परिजनों ने गुजरात स्थित उनके घर पर डाक द्वारा भेजे गए ‘शौर्य चक्र’ वीरता पुरस्कार को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। परिजनों ने इसे अपने शहीद बेटे लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया (Lance Naik Gopal Singh Bhadoriya) का ‘अपमान’ बताया।

क्या है पूरा मामला?

जम्मू-कश्मीर में पांच साल पहले आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में भदौरिया ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। भदौरिया के पिता मुनीम सिंह ने पांच सितंबर को डाक से भेजे गए ‘शौर्य चक्र’ वीरता पुरस्कार को लौटा दिया, जो उनके बेटे के फरवरी 2017 में शहीद होने के एक साल बाद मरणोपरांत दिया गया था।

शहीद जवान गोपाल के माता-पिता ने अब राष्ट्रपति से सम्मान की मांग करते हुए वीरता पदक लेने से इनकार कर दिया है। अहमदाबाद शहर के बापूनगर इलाके में रहने वाले सिंह ने मांग की कि देश का तीसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में परिवार को सौंपा जाए।

सिंह ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि सेना डाक के माध्यम से पदक नहीं भेज सकती है। यह न केवल प्रोटोकॉल का उल्लंघन है, बल्कि एक शहीद और उसके परिवार का भी अपमान है। इसलिए मैंने पदक वाले पार्सल को स्वीकार नहीं किया और यह कहते हुए इसे वापस कर दिया कि मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता।

23 साल के उम्र में हुए थे शहीद

भदौरिया 33 साल की उम्र में शहीद हो गए थे। शहीद जवान 2008 के मुंबई आतंकी हमले के दौरान आतंकवाद विरोधी अभियानों का भी हिस्सा था। गोपाल सिंह को मुंबई में 26/11 के आतंकी हमलों में उनकी बहादुरी के लिए ‘विशिष्ट सेवा पदक’ से भी सम्मानित किया गया था।

साल 2017 में जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान राष्ट्रीय राइफल्स के लांस नायक गोपाल सिंह शहीद हो गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, परिवार वाले अब राष्ट्रपति भवन जाएंगे और सबके सामने राष्ट्रपति के द्वारा सम्मानित करने की मांग करेंगे।

परिवार वालों का कहना है कि उनके बेटे ने देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी और सरकार ने उसकी शहादत का ये सिला दिया है। उन्होंने कहा कि यह कोई गुप्त रखने की चीज थोड़ी है जो आप इसे चुपचाप दे रहे हैं। मेरे बेटे ने देश के लिए बलिदान दिया है, इसलिए उसे देश के सामने ही सम्मान मिलना चाहिए। आपको बता दें कि अशोक चक्र और कीर्ति चक्र के बाद शौर्य चक्र तीसरा सबसे बड़ा शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है।

पत्नी से विवाद और समझौता

द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, 2007 में हेमावती से लांस नायक गोपाल सिंह की शादी हुई थी लेकिन किसी मतभेद के चलते वे अपनी पत्नी से 2011 में अलग रह रहे थे। 2011 में इस जोड़े ने शादी को भंग करने का समझौता किया। दोनों के व्यस्त रहने के कारण साल 2013 में अदालत ने शादी रद्द करने की याचिका भी खारिज कर दी थी।

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया था कि जवान के माता-पिता और उसकी पत्नी के बीच कई सालों तक कोई संपर्क नहीं था। वहीं, भदौरिया ने पत्नी को किसी भी सेवा लाभ के अनुदान पर आपत्ति जताई थी और शहर की एक सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन, जब 2017 में गोपाल सिंह शहीद हो गए तो 2018 में उन्हें शौर्य चक्र के लिए चुना गया। फिर 2018 के बाद दोनों परिवारों के बीच सुलह कराने की कोशिश की गई जो कि 2020 तक नहीं सुलझ पाया।

फिर साल 2021 में शहीद की पत्नी और माता-पिता के बीच कोर्ट के जरिए एक समझौता करवाया गया। इसके बाद अदालत ने आदेश दिया कि शहीद गोपाल सिंह को मरणोपरांत वीरता पुरस्कार और माता-पिता को पुरस्कार से जुड़े सभी लाभ प्रदान किए जाएं। कोर्ट ने यह भी कहा कि पेंशन, अनुग्रह भुगतान और केंद्र या राज्य सरकार या सेना से प्राप्त होने वाली सहायता सहित अन्य सभी सेवा लाभों को दोनों पक्षों के बीच 50-50 विभाजित किया जाना चाहिए।

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