बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि पत्नी की प्रतिष्ठा केवल इस तथ्य से कम होती है कि पति ने उसके खिलाफ एक समाचार पत्र में आरोप लगाया है, रिपोर्ट मानहानिकारक हो या ना हो। लीगल वेबसाइट लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस आरडी धानुका और जस्टिस एमएम सथाये की खंडपीठ एक वैवाहिक विवाद का निस्तारण कर रही थी, जिसमें पति ने एक अखबार में अपनी पत्नी के बारे में कथित रूप से मानहानिकारक न्यूज़ प्रकाशित किया था।
क्या है पूरा मामला?
अपीलकर्ता पति शादी के समय Yes Bank का कर्मचारी था। उसकी पत्नी की दलील के अनुसार, उसके माता-पिता ने उसे 15 तोले सोने के गहने दिए और शादी का 75 फीसद खर्च वहन किया। उसने आरोप लगाया कि आरोपी रोजाना शराब पीता था और उसके साथ मारपीट करता था। उसने आरोप लगाया कि एक दिन वह पुलिस अकादमी गया, जहां वह ट्रेनिंग ले रही थी और गंदी भाषा का इस्तेमाल करते हुए हंगामा खड़ा कर दिया।
महिला द्वारा आगे दावा किया गया कि उसने पत्नी के सोने के गहने भी गिरवी रख दिए और DNS (Dombivli Nagari Sahakari Bank Ltd.) बैंक से कर्ज लिया। जिसके बाद पत्नी ने तलाक के लिए IPC की धारा 498-A (पत्नी के प्रति क्रूरता) के तहत पुलिस शिकायत दर्ज की। फैमिली कोर्ट ने तलाक की डिक्री जारी की और अपीलकर्ता को स्त्रीधन अपनी पत्नी को लौटाने का निर्देश दिया।
वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए अपीलकर्ता का मुकदमा खारिज कर दिया गया था। इसलिए वर्तमान अपील हाई कोर्ट में दायर की गई। पति ने पत्नी के आरोपों को गलत बताया। उन्होंने आगे तर्क दिया कि उनके द्वारा गिरवी रखे गए सोने के गहने उनके अपने परिवार के गहने हैं न कि उनकी पत्नी के स्त्रीधन के।
हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि वास्तविक समाचार मानहानिकारक है या नहीं यह वर्तमान उद्देश्य के लिए अप्रासंगिक है। तथ्य यह है कि एक पक्ष (इस मामले में पति) द्वारा पति (पत्नी) के खिलाफ न्यूज़ पेपर में आरोप लगाए जाते हैं, जो अपने आप में उसके साथियों और सहयोगियों की नजर में उसकी प्रतिष्ठा को कम करने का प्रभाव रखता है। अदालत ने आगे कहा कि अपीलकर्ता ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के समक्ष न केवल अपनी सास के खिलाफ बल्कि जांच अधिकारी, अभियोजक, जो पत्नी का रिश्तेदार है, और साथ ही उसकी पत्नी के वर्तमान वकील के खिलाफ भी आपराधिक शिकायत दर्ज की है।
अदालत ने आगे कहा कि ऐसे व्यक्ति से निपटना मुश्किल है और निश्चित रूप से मानसिक उत्पीड़न का कारण बनेगा। कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के पत्नी को तलाक देने के फैसले को बरकरार रखा और कहा कि पति का समग्र व्यवहार मानसिक क्रूरता है। अदालत ने कहा कि पति ने अपनी जिरह में स्वीकार किया कि उसकी पत्नी की मां ने उसे सोने के गहने दिए थे और वे बैंक में लोन की जमानत के रूप में पड़े हैं। इसके अलावा, उन्होंने अपनी पत्नी को बदनाम करने के लिए एक दैनिक समाचार पत्र “दिव्या मराठी” में न्यूज़ प्रकाशित किया।
हाई कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि पक्षों के बीच बहुत कड़वाहट है, और स्थिति को सुलझाना संभव नहीं है। सबूतों के आधार पर अदालत ने कहा कि पति का आचरण मानसिक क्रूरता के बराबर है। इसलिए, अदालत ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए तलाक को बरकरार रखा। अदालत ने कहा कि चाहे वे माता-पिता या ससुराल वालों द्वारा दिए गए हों, शादी में प्राप्त सोने के गहने स्त्रीधन बन जाते हैं। इसलिए, अदालत ने अपीलकर्ता को बैंक को आवश्यक भुगतान करने के बाद अपनी पत्नी को स्त्रीधन वापस करने का निर्देश दिया।
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