इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने सोमवार को अपने हालिया आदेश में एक विवाहित महिला के साथ रहने वाले एक पुरुष (और उसके परिवार के सदस्यों) की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। विवाहिता के पति ने शख्स के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी। जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा (Justice Ashwani Kumar Mishra) और जस्टिस रजनीश कुमार (Justice Rajnish Kumar) की बेंच ने महिला के पति को नोटिस जारी कर मामले में जवाब मांगा है।
क्या है पूरा मामला?
मोहित अग्रवाल (31) फिलहाल 36 साल की एक विवाहित महिला के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में हैं। पति के हाथों ‘कथित प्रताड़ना’ झेलने के कारण महिला ने पिछले साल अक्टूबर में अपना ससुराल छोड़ दिया था। इसके बाद वह मोहित अग्रवाल के साथ रहने लगी।
महिला ने आरोप लगाया कि उसके पति ने उसके दैनिक जीवन में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया जो उसके लिव-इन पार्टनर मोहित अग्रवाल के साथ रह रहा था, और इस तरह दोनों पिछले साल हाई कोर्ट चले गए और उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा संरक्षण दिया गया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह आदेश दिनांक 6 दिसंबर, 2021 को जारी किया।
उन्हें सुरक्षा प्रदान करते हुए हाई कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी कि लिव-इन-रिलेशनशिप जीवन का अभिन्न अंग बन गया है और माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह अनुमोदित है। लिव-इन रिलेशनशिप को सामाजिक नैतिकता की धारणाओं के बजाय, भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत जीने के अधिकार से उत्पन्न व्यक्तिगत स्वायत्तता के लेंस से देखा जाना चाहिए। भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निहित जीवन के अधिकार की हर कीमत पर रक्षा की जा सकती है।
इसके बाद महिला के पति ने जनवरी 2022 में मोहित अग्रवाल (लिव-इन पार्टनर), उसके पिता, भाई और उसकी मां के खिलाफ आईपीसी की धारा 323, 504, 506 और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(da) और 3(1)(dHa) के तहत FIR दर्ज कराई। अग्रवाल और उनके परिवार ने तत्काल रिट याचिका दायर करके गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया और एफआईआर को रद्द करने की मांग की।
इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश
न्यायालय के समक्ष अग्रवाल के परिवार की तरफ से तर्क दिया गया कि हाई कोर्ट द्वारा सुरक्षा दिए जाने के बावजूद, मोहित की विवाहित महिला के पति द्वारा बाद में एफआईआर दर्ज करना याचिकाकर्ताओं को उपलब्ध संवैधानिक संरक्षण और इस न्यायालय द्वारा पारित आदेश का उल्लंघन है। अदालत ने इस प्रकार पति के साथ-साथ यूपी सरकार को भी नोटिस जारी किया और उन्हें तीन सप्ताह या उससे अधिक समय के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा गया है।
सूचीबद्ध करने की अगली तिथि तक याचिकाकर्ताओं को IPC की धारा 323, 504, 506 और 3 (1) (डी) और 3 (1) (डीएएच) के तहत 2022 के केस क्राइम नंबर 16 के रूप में रजिस्टर्ड प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। अदालत ने कहा कि अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम, पुलिस थाना गजरौला, जिला अमरोहा, बशर्ते याचिकाकर्ता जांच में सहयोग करें।
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Live-in-Relationships Part & Parcel Of Life | Allahabad HC Stays Arrest Of Man Living With Married Woman
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