मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने सोमवार (4 जुलाई) को एक नोटिस जारी कर कहा कि जो भी वकील युवा मां है, वो कोर्ट को सूचित करने के बाद अपने केस को लड़ने के लिए एक टाइम (समय) स्लॉट मांग सकती हैं। मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन (Justice GR Swaminathan) ने बार के सदस्यों को सूचित किया कि महिला वकील द्वारा अदालत के अधिकारियों को सूचित करने के बाद ऐसा समायोजन किया जा सकता है।
हाई कोर्ट ने ये आदेश क्यों दिया?
लाइवलॉ की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने ये निर्देश तब दिए जब एक पुरुष वकील ने अदालत से स्थगन की मांग की, क्योंकि उसे अपने बच्चे को स्कूल से लाना था। वकील ने कोर्ट से कहा कि वह शाम तक नहीं रुक सकता, क्योंकि साढ़े तीन बजे उसे अपने बच्चे को लाने जाना है। जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने कोर्ट में एक उदाहरण का भी उल्लेख किया।
जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने अपने नोटिस में बताया कि एक दिन एक मामले की सुनवाई उन्होंने 4 बजे तक के लिए एडजर्न की। इसे लेकर एक वकील ने गुजारिश की कि मामले की सुनवाई अगले दिन तक के लिए स्थगित कर दी जाए। कारण पूछने पर वकील ने कहा कि उन्हें दोपहर 3.30 बजे अपने बच्चे को स्कूल से लेकर आना है, इसलिए वह 4 बजे तक नहीं रूक सकता। जस्टिस स्वामीनाथन ने वकील की मांग पर सुनवाई को आगे के लिए स्थगित कर दिया। इसके बाद उन्होंने एक नोटिस जारी किया।
इन शर्तों का करना होगा पालन
नोटिस में उन्होंने लिखा कि इस घटना मुझे ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि कितनी सारी महिला वकील कोर्ट में प्रैक्टिस कर रही है। उन सभी की एक जैसी परेशानियां होंगी। कोर्ट ने कहा कि ये मेरा कर्तव्य है कि उन्हें टाइम स्लॉट दिया जाए। अदालत ने कहा कि ऐसी महिलाएं पहले से ही कोर्ट को बता कर स्लॉट बुक कर सकती हैं। हालांकि, एक शर्त ये है कि उन्हें अच्छे से तैयारी करनी होगी, जिससे कोर्ट में कम वक्त लगे। ये नोटिस सिर्फ इंडिपेंडेंट प्रैक्टिशनर्स के लिए ही है। जो पहले से ही ऑफिस में काम करते है उनके लिए नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इस नोटिस में जारी किया गया आदेश आज (5 जुलाई 2022) से लागू हो जाएगा।
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