बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने 19 जुलाई को एक मामले की सुनवाई के दौरान अपने परिवार के सदस्यों के साथ झगड़ा कर रहे कपल्स से निपटने के लिए पूरे महाराष्ट्र राज्य में पूरे पुलिस बल को संवेदनशील बनाने का आह्वान किया। इस दौरान कोर्ट ने माना कि पुलिस को कपल्स के प्रति संवेदनशीलता और सहानुभूति के साथ ऐसे मामलों से निपटना होगा।
क्या है पूरा मामला?
बार एंड बेंच के मुताबिक, हाई कोर्ट एक समलैंगिक कपल की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें रिश्ते पर आपत्ति जताते हुए उनके माता-पिता में से एक द्वारा दायर “लड़की के लापता होने” की शिकायत के मद्देनजर सुरक्षा की मांग की गई थी। महाराष्ट्र सरकार ने 6 जुलाई को अदालत को आश्वासन दिया था कि वह सादे कपड़ों में एक कांस्टेबल के माध्यम से कपल को सुरक्षा देगी।
हालांकि,याचिकाकर्ताओं के वकील विजय हीरेमथ ने जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस गौरी गोडसे की बेंच को सूचित किया कि पुलिस ने महिलाओं से कहा कि उन्हें अभी तक हाईकोर्ट का आदेश नहीं मिला है। हिरेमथ ने न्यायालय से यह सुनिश्चित करने के लिए मसौदा दिशानिर्देश पारित करने पर विचार करने को कहा कि भविष्य में ऐसे मुद्दे उत्पन्न न हों।
कपल ने हाई कोर्ट का दरवाजा इसलिए खटखटाया था, क्योंकि उनमें से एक को उसके परिवार ने घर लौटने के लिए मजबूर किया था। परिवार ने गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी और महाराष्ट्र पुलिस से संपर्क किया था, जिसने परिवार को महिलाओं के ठिकाने के बारे में सूचित किया था।
हिरेमथ ने कहा था कि याचिकाकर्ता 18 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्क हैं और एक साथ रहना चाहते हैं। उनकी याचिका में अधिकारियों को उनके जीवन, स्वतंत्रता और सम्मान की रक्षा के लिए उचित सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश देने की मांग की गई है। इसके अलावा, याचिका में मांग की गई कि लापता व्यक्ति की शिकायतों के आधार पर याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए।
हाई कोर्ट
उपरोक्त प्वाइंट पर कोर्ट ने कहा कि राज्य भर में पूरे पुलिस बल को संवेदनशील बनाना होगा। मद्रास हाई कोर्ट के समक्ष एक समान मामले का संदर्भ दिया गया था, जिसने तमिलनाडु सरकार को राज्य के सभी विभागों में संवेदीकरण कार्यक्रम शुरू करने के लिए कहा था। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि इस कार्यक्रम को चलाने के लिए, याचिका का दायरा बढ़ाने के लिए राज्य विभागों को पार्टियों के रूप में जोड़ना होगा। अदालत ने हिरेमथ से इस बात पर शोध करने का आग्रह किया कि पुलिस आचरण से संबंधित नियमों में किस प्रकार के संशोधन की आवश्यकता होगी। मामले की अगली सुनवाई अब 28 जुलाई को होगी।
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