IIT (Indian Institutes of Technology) खड़गपुर से ग्रेजुएट अंकित जोशी (Ankit Joshi) ने हाल ही में खुलासा किया कि उन्होंने अपनी नवजात बेटी के साथ समय बिताने के लिए अपनी हाई सैलरी वाली नौकरी छोड़ दी। अंकित जोशी ने कहा कि उन्होंने अपनी नवजात बेटी के साथ समय बिताने के लिए अपनी लाखों की नौकरी छोड़ दी है। वो एक कंपनी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट थे। जोशी ने बताया कि नौकरी के काम से उन्हें अक्सर अलग-अलग शहरों की यात्रा करनी पड़ती थी, जिस वजह से बेटी का देखभाल मुश्किल हो जाता।
बेटी के लिए छोड़ दी लाखों की नौकरी
ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे (Humans of Bombay) के साथ एक इंटरव्यू में अपने फैसले के बारे में अंकित जोशी ने बताया कि बेटी के जन्म के कुछ दिन पहले ही मैंने अपनी हाई सैलरी वाली नौकरी छोड़ दी। उन्होंने कहा कि मुझे पता है कि यह एक अजीबोगरीब फैसला था। लोगों ने उन्हें चेतावनी भी दी थी कि आगे चीजें मुश्किल हो जाएंगी, लेकिन मेरी पत्नी आकांक्षा (Akanksha) ने मेरे फैसले का समर्थन किया।
जोशी ने ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को बताया कि मेरी बेटी के दुनिया में आने से पहले ही मैंने तय कर लिया था कि मैं अपना सारा समय उसके साथ बिताऊंगा। मेरे सप्ताह भर के पितृत्व अवकाश (Paternity Leaves) से कुछ नहीं होने वाला। मुझे पता था कि यह मुश्किल होने वाला है। मैंने कुछ महीने पहले ही सीनियर वाइस प्रेसिडेंट के रूप में एक नया काम शुरू किया था।
इस्तीफा देने का विकल्प चुना
ये जानते हुए कि उनकी कंपनी उनके सप्ताह भर के पितृत्व अवकाश का विस्तार नहीं कर पाएगी, जोशी ने अपने पद से इस्तीफा देने का विकल्प चुना। अपनी नौकरी छोड़ने के बाद से जोशी ने अपना पूरा समय मासूम की देखभाल के लिए समर्पित कर दिया है। उन्होंने अपनी बेटी का नाम स्पीति (Spiti) रखा है, क्योंकि वह और उनकी पत्नी ने स्पीति घाटी की यात्रा के बाद फैसला किया कि वे अपनी बेटी का नाम इस शानदार जगह के नाम पर रखेंगे।
नई नौकरी की कर रहे हैं तलाश
जोशी ने यह भी कहा कि वे कुछ महीनों के बाद नई नौकरियों के लिए आवेदन करना शुरू कर देंगे। इस दौरान वह अपनी बेटी के साथ भरपूर समय बिताने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे के साथ अपने इंटरव्यू के आखिर में कहा कि छोटे पितृत्व अवकाश यह सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाते हैं कि माताएं पिता की तुलना में अधिक पितृत्व कर्तव्यों का निर्वाह करती हैं।
उन्होंने कहा कि मुझे यह देखकर निराशा होती है कि अधिकांश कंपनियां लगभग न के बराबर पितृत्व अवकाश देती हैं। यह सिर्फ इस बारे में नहीं है कि पिता बच्चे के साथ कितना कम जुड़ता है, बल्कि यह परवरिश की भूमिका में पिता की जिम्मेदारी को कम करने के बारे में ज्यादा है। द ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे ने शुक्रवार 18 नवंबर को जोशी के बारे में इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया। उनकी दिल को छू लेने वाली कहानी को अब तक (21 नवंबर तक) दो लाख से अधिक लाइक्स और हजारों कमेंट्स मिल चुके हैं।
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