महिला केंद्रित कानून कैसे बनाए जाते हैं? हम भारत को पितृसत्तात्मक समाज (Patriarchal Society) के रूप में किस प्रकार लगातार श्रात देते रहते हैं? कैसे हमने क्लिकबैट की सुर्खियों से परे पढ़ने की आदत को पूरी तरह से खो दिया है? नीचे इस बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि कैसे मुख्यधारा का मीडिया किसी समाचार एजेंसी से स्टोरी को उठाता है और फैसले के तथ्यों की पुष्टि किए बिना ‘भ्रामक’ आर्टिकल को कॉपी पेस्ट कर देता है।
12 जुलाई को वॉयस फॉर मेन इंडिया ने एक विस्तृत फैसले की रिपोर्ट की थी जो मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) से आया था, जिसमें पत्नी द्वारा की गई क्रूरता के आधार पर एक पति के पक्ष में तलाक की डिक्री जारी की गई थी। हाईकोर्ट ने कई तथ्यों को ध्यान में रखते हुए पति की तलाक की अपील मंजूर की थी, जैसे पत्नी को पति के चरित्र पर संदेह करना, अपने सहयोगियों के सामने उसके खिलाफ एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के आरोप लगाना आदि।
क्या है पूरा मामला?
पति ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी, जिसमें तलाक के लिए उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी। मद्रास हाई कोर्ट ने पत्नी के व्यवहार और बिना किसी समर्थन या आधार के पति के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज करने पर ध्यान देने के बाद तलाक के लिए पति की अपील की अनुमति दी थी।
मंगलसूत्र (थाली) के बारे में हाई कोर्ट ने क्या कहा था?
पति ने बताया था कि कैसे उनकी पत्नी ने वर्ष 2011 में अपने मंगलसूत्र को हटा दिया था। इस पर हाई कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि मंगलसूत्र को अपने आप हटाना मानसिक क्रूरता मानने का आधार नहीं हो सकता। जस्टिस वीएम वेलुमणि और जस्टिस एस सौंथर की पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा था कि थाली चेन को हटाने को अक्सर एक अनौपचारिक या तुच्छ कार्य के रूप में माना जाता है। हम एक पल के लिए भी यह नहीं कह रहे हैं कि थाली चेन को उतारना वैवाहिक बंधन को समाप्त करने के लिए पर्याप्त है, लेकिन प्रतिवादी का कृत्य पक्षों के इरादों के बारे में अनुमान लगाने में सबूत का एक टुकड़ा है। रिकॉर्ड पर उपलब्ध विभिन्न अन्य साक्ष्यों के साथ अलगाव के समय थाली चेन को उतारने का प्रतिवादी का कार्य, हमें एक निश्चित निष्कर्ष पर आने के लिए मजबूर करता है कि पार्टियों का वैवाहिक बंधन में सुलह करने और उसे जारी रखने का कोई इरादा नहीं है।
मेनस्ट्रीम मीडिया ने गलत पेश की रिपोर्ट
हम ऐसे समय में रह रहे हैं, जहां अधिकांश मीडिया कानूनी मामलों की रिपोर्ट करने से पहले निर्णय/आदेश को पूरा नहीं पढ़ता है। अफसोस की बात है कि हमारे यहां एक पैटर्न रहा है, जहां हर एक पोर्टल या चैनल समाचार एजेंसियों से बिना जांच किए पूरे आर्टिकल को कॉपी पेस्ट कर देता है। कई मेनस्ट्रीम मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि पत्नी द्वारा थाली (मंगलसूत्र) को हटाना पति के खिलाफ क्रूरता है। कुछ समाचार रिपोर्टों के बाद सोशल मीडिया पर मद्रास हाईकोर्ट के खिलाफ सोशल मीडिया पर भयानक आक्रोश उत्पन्न हो चुका है।
बहुत से लोगों ने इस कथित फैसले पर नाराजगी जाहिर करने लगे। कई यूजर्स हाईकोर्ट की आलोचना के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है। हालांकि, फैसले को पढ़ने से पता चलेगा कि ऐसी रिपोर्ट पूरी तरह गलत और भ्रामक हैं। इस मामले में हाईकोर्ट ने यह नहीं कहा है कि पत्नी द्वारा मंगलसूत्र को खुद से हटाना मानसिक क्रूरता की कैटेगरी में आएगा। दरअसल, हाईकोर्ट ने इसके विपरीत कहा था कि मंगलसूत्र को अपने आप हटाना मानसिक क्रूरता मानने का आधार नहीं हो सकता।
नीचे कुछ उदाहरण दिए गए हैं कि कैसे मेनस्ट्रीम मीडिया द्वारा उपरोक्त आर्टिकल को पूरी तरह से गलत तरीके से पेश किया गया था। अधिकांश मीडिया ने अभी भी इसे वापस नहीं लिया है। हालांकि, कुछ ने केवल आर्टिकल की हेडलाइन को एडिट कर दिया है…
Join our Facebook Group or follow us on social media by clicking on the icons below
If you find value in our work, you may choose to donate to Voice For Men Foundation via Milaap OR via UPI: voiceformenindia@hdfcbank (80G tax exemption applicable)