पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने 6 मई, 2022 को अपने एक आदेश में पति के पक्ष में फैमिली कोर्ट के फैसले और डिक्री के खिलाफ पत्नी द्वारा अपील दायर करने के बाद एक व्यक्ति को तलाक दे दिया। जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस अशोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि वर्तमान मामले में पत्नी के कृत्यों से पति के साथ पर्याप्त मानसिक क्रूरता हुई थी। इस प्रकार अदालत ने उसकी अपील को खारिज कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
अपीलकर्ता-पत्नी (हरबंस कौर) और प्रतिवादी-पति (जोगिंदर पाल) के बीच दिसंबर 1992 में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह हुआ था। दंपति के चार बच्चे हैं। शुरुआत में पति ने HMA की धारा 13 के तहत तलाक के लिए अर्जी दी, जिसमें पत्नी के व्यवहार को शुरू से ही उसके प्रति बहुत क्रूर, बर्बर, असभ्य और असभ्य बताया गया। हालांकि, दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया।
बाद में, मई 2011 में अपीलकर्ता-पत्नी ने घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत एक याचिका दायर की, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। उक्त आदेश के विरुद्ध अपील भी खारिज कर दी गई।
इसके बाद पत्नी ने अपने पति के खिलाफ IPC की धारा 323, धारा 325, धारा 506 और धारा 34 के तहत कई मामले कराई। हालांकि, पति को 2015 में सभी मामलों से बरी कर दिया गया था।
पति ने यह भी आरोप लगाया कि उसकी पत्नी ने जिला करनाल के भोला खालसा गांव में स्थित उसके स्वामित्व वाली और उसके स्वामित्व वाली कृषि भूमि पर जबरन कब्जा करने का प्रयास किया था। अपीलकर्ता पत्नी के खिलाफ सिविल मुकदमा जिला न्यायालय, करनाल में लंबित था।
कथित तौर पर एडल्ट्री में रह रही है पत्नी
पति का आरोप था कि उसकी पत्नी वर्ष 2012 से किसी अन्य पुरुष के साथ एडल्ट्री में रह रही है। पति का आरोप है कि उसने अपने चार बच्चों के साथ उसे जबरन अपने घर से भी निकाल दिया था। तब से पति किराए के मकान में रह रहा है और दोनों के बीच कोई सहवास नहीं हुआ था। पत्नी भी अपनी बेटी की शादी में शामिल नहीं हुई, उसने अपने पति को ताना मारा कि उसे ‘अपने’ बच्चों की कोई चिंता नहीं है। उसके बाद पति ने क्रूरता के आधार पर तलाक के लिए अर्जी दी।
पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने उन निर्णयों का हवाला दिया जो इस मामले से सह-संबंधित थे। इस तरह के एक हवाला में कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि पत्नी द्वारा दर्ज की गई एक भी शिकायत पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ झूठी पाई गई, जो क्रूरता की श्रेणी में आती है। कोर्ट ने कहा कि यदि पति-पत्नी एक साथ रह रहे हैं और पति पत्नी से बात नहीं करता है, तो यह मानसिक क्रूरता का कारण होगा। अदालत ने कहा कि पति या पत्नी अश्लील और मानहानि पत्र या नोटिस भेजकर या अश्लील आरोपों वाली शिकायतें दर्ज करके या न्यायिक कार्यवाही की संख्या शुरू करके दूर रह सकते हैं।
दूसरे जीवनसाथी का जीवन दयनीय
हाई कोर्ट ने आगे कहा कि वर्तमान मामले के तथ्यों में ऊपर दिए गए डिटेल्स के अनुसार, FIR दर्ज होने के बाद मामले में बरी होने और घरेलू हिंसा की शिकायत को खारिज करने के बाद जैसा कि ऊपर दर्शाया गया है, पति के साथ पर्याप्त मानसिक क्रूरता हुई है। नतीजतन, पत्नी की अपील खारिज कर दी गई और पति को तलाक दे दिया गया।
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