मुंबई के पुलिस कमिश्नर संजय पांडेय (Mumbai Police Commissioner Sanjay Pandey) ने अपने पहले के आदेश में संशोधन करते हुए शहर की पुलिस को पॉक्सो एक्ट के तहत छेड़छाड़ और अन्य अपराधों के ऐसे मामलों में तुरंत FIR दर्ज करने का निर्देश दिया है, जहां उन्हें किसी भी तरह की गड़बड़ी का संदेह नहीं हो।
इससे पहले पांडे ने एक सर्कुलर जारी कर पुलिसकर्मियों को निर्देशित किया था कि जोनल पुलिस उपायुक्त (DCP) की अनुमति के बिना कानून के तहत छेड़छाड़ या अन्य अपराध की प्राथमिकी दर्ज नहीं की जानी चाहिए। इसके बाद पुलिस की जमकर आलोचना हुई और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं की भारी आलोचना के बाद पुलिस ने पिछले सप्ताह शुक्रवार 17 जून को संशोधित निर्देश जारी किया।
संशोधित आदेश
संशोधित आदेश में कहा गया है कि कभी-कभी संपत्ति के मसले, वित्तीय विवाद या व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत छेड़छाड़ की शिकायतें पुलिस में दर्ज कराई जाती हैं। आदेश के मुताबिक, ऐसे मामलों में वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक को संबंधित सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) और DCP से संपर्क करना चाहिए तथा FIR दर्ज करने के निर्देश लेना चाहिए।
संशोधित आदेश में कहा गया है कि थाना प्रभारी को एक स्टेशन डायरी रखनी चाहिए, जिसमें यह उल्लेख हो कि उन्होंने (मामला दर्ज करने की अनुमति के बारे में) किससे बात की है। FIR दर्ज करने का आदेश देने वाले एसीपी या डीसीपी को ललिता कुमारी मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश ध्यान में रखना चाहिए।
ऐसे मामलों में कोई गिरफ्तारी करने से पहले अधिकारियों को एसीपी की मंजूरी लेनी चाहिए और जोनल डीसीपी को उन मामलों में व्यक्तिगत रूप से जांच की निगरानी करने का भी निर्देश दिया गया है।
पहले सर्कुलर में क्या था?
मुंबई पुलिस प्रमुख संजय पांडे ने 6 जून को एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि पॉक्सो कानून के तहत छेड़छाड़ या अन्य अपराध के मामले में FIR एसीपी की सिफारिश पर और जोन के डीसीपी की अनुमति प्राप्त करने के बाद ही दर्ज की जानी चाहिए। इसका कारण यह बताया गया था कि कई बार संपत्ति या वित्तीय विवाद या व्यक्तिगत झगड़े के कारण इस कानून के तहत मामला दर्ज कराया जाता है।
हालांकि, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने यह कहते हुए आदेश को वापस लेने की मांग की थी कि यह यौन शोषण पीड़ितों के अधिकारों का हनन करेगा। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी पांडे को आदेश तुरंत वापस लेने को कहा था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि क्या मुंबई पुलिस कमिश्नर द्वारा 6 जून को जारी विवादास्पद सर्कुलर को वापस लिया जा सकता है।
कार्यकर्ताओं ने बॉम्बे हाईकोर्ट का किया रुख
बाल अधिकार संगठनों ने आदेश को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी, जहां जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस वीजी बिष्ट की पीठ ने गुरुवार को लोक अभियोजक को निर्देश दिया कि वह सीधे पुलिस कमिश्नर से निर्देश मांगे और उनसे पूछें कि क्या वह सर्कुलर को वापस लेने के लिए तैयार हैं।
Mumbai Police Commissioner Sanjay Pandey Forced To Revise POCSO Circular Issued To Curb False Cases
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