पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की वरिष्ठ नेता मेनका गांधी (Maneka Gandhi) ने जून 2017 में एक बयान में दावा किया था कि पुरुष आत्महत्या नहीं करते हैं। इतना ही नहीं, गांधी ने कहा था कि उन्होंने ऐसा एक भी मामला नहीं सुना है। पुरुषों के बीच आत्महत्या की दर को कम करने के लिए सरकार की पहल के बारे में एक फेसबुक लाइव सेशन के दौरान उनके द्वारा दिया गया एक सवाल के जवाब ने कई लोगों को नाराज कर दिया। तत्कालीन केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा, ”किन पुरुषों ने आत्महत्या की है? आत्महत्या करने के बजाय स्थिति को सुलझाने की कोशिश क्यों नहीं की जाती… मैंने एक भी मामले (पुरुषों द्वारा आत्महत्या करने के बारे में) के बारे में नहीं सुना/पढ़ा है।”
क्या कहते हैं NCRB के आंकड़े?
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2015 में देश में 1,33,623 आत्महत्याएं दर्ज की गईं, जिनमें से 91,528 (68 प्रतिशत) पुरुष थे, जबकि 42,088 महिलाएं थीं। एनसीआरबी के आंकड़ों में कहा गया है 2015 में आत्महत्या करने वाले 86,808 विवाहित व्यक्तियों में से 64,534 (74 प्रतिशत) पुरुष थे।
यूजर्स ने किया ट्रोल
सोशल मीडिया यूजर्स ने मेनका गांधी को “पुरुष-विरोधी” करार देते हुए उनके बयान की निंदा की। एक यूजर ने लिखा कि यह सुनिश्चित करने के लिए WCD क्या कर रही है कि माता-पिता का अलगाव (अपने बच्चों से पिता का) व्यवहार में नहीं है। क्या एक बच्चे को उसके जैविक पिता से अलग करना अपराध नहीं है?
पोस्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए मेनका ने कहा कि अधिकार मांगने से पहले पुरुषों को जिम्मेदारी स्वीकार करनी होगी। उन्होंने कहा, “इस मंत्रालय को बड़ी संख्या में शिकायतें मिलती हैं कि विवाह भंग होने के बाद पिता अदालत के आदेशों और देश के कानूनों के बावजूद रखरखाव का भुगतान नहीं करता है…अधिकारों के लिए जोर देने के लिए जिम्मेदारियों का पालन भी आवश्यक है।”
एक अन्य यूजर ने लिखा, “अपने माता-पिता को देखने में सक्षम होना बच्चे का अधिकार है। केवल एक असभ्य इंसान ही कहेगा कि जब तक पिता भुगतान नहीं करता है, वह बच्चे को नहीं देख सकता है।”
एक अन्य यूजर ने अपने वैवाहिक विवाद के बारे में एक सवाल पोस्ट किया, जहां उसकी पत्नी ने अपनी तीन महीने की बेटी को यह कहते हुए छोड़ दिया कि वह उसकी देखभाल नहीं कर सकती। यूजर का आरोप था कि उसकी पत्नी ने उसके, उसके माता-पिता और उसकी बहन के खिलाफ दहेज और घरेलू हिंसा का फर्जी मामला दर्ज कराया है।
उसने पूछा, “अपनी बेटी के लिए न्याय के लिए किसका दरवाजा खटखटाऊं?” इस पर गांधी ने कहा, “दुर्भाग्य से इसका समाधान अदालतों में है। लेकिन केवल एक व्यक्तिगत अवलोकन के रूप में … मैं ऐसी महिला से नहीं मिली हूं जो खुशी से विवाहित हो, एक बच्चा हो और फिर तीन महीने के बच्चे को इस आधार पर छोड़ कर भाग जाए कि वह उसकी देखभाल नहीं कर सकती।”
उन्होंने कहा, “आपके हिसाब से घर में माता-पिता का सपोर्ट सिस्टम भी था। तो बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी केवल उसकी नहीं होती। क्यों न आत्मनिरीक्षण किया जाए और वास्तविक मुद्दे को सुलझाया जाए।” सेशन के अंत में मेनका ने केवल पुरुषों के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने का सुझाव देने वाले एक यूजर्स को जवाब देते हुए कहा कि वह इसका स्वागत करेंगी।
Join our Facebook Group or follow us on social media by clicking on the icons below
If you find value in our work, you may choose to donate to Voice For Men Foundation via Milaap OR via UPI: voiceformenindia@hdfcbank (80G tax exemption applicable)